रायपुर। कुपोषण से मरने वालों का प्रतिशत छत्तीसगढ़ में जहां कम हुआ है, वहीं खानपान की अनियमितता से दिल के मर्ज से मौत होने का प्रतिशत दोगुना हो गया है। इसे इस्चेमिक हार्ट डिसीज भी कहते हैं। यह खुलासा हुआ है इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(आईसीएमआर) की हेल्थ ऑफ द नेशन स्टेट्स रिपोर्ट 2017 में ।
इस्चेमिक हार्ट डिसीज के मामले में 1990 के दशक में छत्तीसगढ़ 15 बड़ी बीमारियों में 11वें नंबर पर था। इसका प्रतिशत 2.1 था, जो कि अब बढ़कर 6..प्रतिशत हो गया है। कुपोषण पर सरकार की मुहिम रंग लाई है।
राज्य के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल में अब तक एंजियोग्राफी की संख्या 4500 पहुंच गई है। औसतन हर साल 2 हजार एंजियोग्राफी हो रही है। हर दिन 5 से 6 हार्ट अटैक के मरीज अम्बेडकर अस्पताल में पहुंच रहे हैं। हालांकि अभी भी 0 से 14 साल की उम्र के बच्चों और किशोरों की मौत पोषक तत्वों की कमी और नवजातों की मौत नवजात विकार के कारण हो रही है।
26 साल पहले संक्रमण बड़ी बीमारी
26 साल पहले राज्य में संक्रमण पहले नंबर की सबसे बड़ी बीमारी थी। उस समय प्रदेश में 11.5 प्रतिशत मौतों की वजह संक्रमण था जो कि अब 2016 की स्थिति में चौथे नंबर पर 5 प्रतिशत में पहुंच गया है।
यह कहती है रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 26 साल के भीतर कुपोषण से मौत का प्रतिशत घटकर आधा हो गया है। 1990 दशक में जहां कुपोषण से 37.6 प्रतिशत मौतों का प्रतिशत था वह घटकर अब 16.4 प्रतिशत है।
वहीं दिल से संबंधित बीमारियों का प्रतिशत बढ़ गया है। हाई ब्लड प्रेशर से मौतों या बीमारी का प्रतिशत 1990 में 3.6 प्रतिशत था, जो बढ़कर अब 8.0 प्रतिशत यानी दुगुना से अधिक हो गया है। वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण भी मौत और बीमारियों के लिए फैक्टर है। छत्तीसगढ़ में प्रीमैच्योर मौतों का प्रतिशत 69.9 प्रतिशत है जबकि दिव्यांगता का 30.1 प्रतिशत है।
ये सबसे बड़ी वजह बन रहे मौत के लिए
हाई ब्लड प्रेशर, असक्रियता, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, शराब आदि से लोगों में उम्र से पहले ही दिल के रोग से मौत का खतरा बढ़ता जा रहा है। मोटापा और डायबिटीज आजकल सब रोगों की जड़ है। हृदय रोगों का खतरा उन लोगों में चार गुना तक बढ़ जाता है जिन्हें डायबिटीज की समस्या होती है।
बदलती लाइफ स्टाइल से लोगों में अत्यधिक वजन बढ़ने, हाई ब्लड प्रेशर, बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होने और गुड कोलेस्ट्रॉल की कम होने की आशंका भी बढ़ जाती है और इससे दिल के लिए भी खतरा बढ़ जाता है। डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसी चीजें भी ह्रदय रोग को बढ़ावा दे रही हैं।
मौत के लिए ये हैं जवाबदेह रिस्क फैक्टर
रिस्क फैक्टर 1990 में 2016 में
कुपोषण 37.6 16.4
पीने का पानी 11.4 5.7
वायु प्रदूषण 10.8 9.5
तम्बाकू 3.6 4.5
हाई ब्लड प्रेशर 3.6 8.0
शराब 1.2 3.2
कोलेस्ट्राल 1.1 3.3
खानपान की वजह से बढ़े मरीज
कुपोषण कम होने से सरकार की योजनाएं रंग लाई हैं। पहले संक्रमण वाले रोग पहले नंबर पर थे। कम उम्र में लोग खत्म हो जाते हैं, पर अबहालात बदल गए हैं। हार्ट में जांच की सुविधा बढ़ी है। हार्ट डिसीज की नंबर एक होने की वजह अनियमित खानपान के अलावा अन्य कई फैक्टर हैं। – डॉ. स्मिथ श्रीवास्तव, एचओडी, कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट , अम्बेडकर अस्पताल
फैक्ट फाइल
– 11वें नंबर से 26 साल में पहले नंबर पर आया हार्ट डिसीज
– 2 हजार एंजियोग्राफी हर साल हो रहा अंबेडकर अस्पताल में