भोपालपटनम। बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक के सेंड्रा पंचायत के तीन सौ से अधिक परिवारों के लोग 35 किलो चावल के लिए चार दिन का सफर तय कर रहे हैं। दो अन्य पंचायतों के लोगों का भी यही हाल है। 2005 में सलवा जुडूम शुरू होने के बाद भोपालपटनम ब्लॉक के तीन पंचायतों सेंड्रा, बड़ेकाकलेड व एड़ापल्ली के सरकारी राशन दुकानों को ब्लॉक मुख्यालय में शिफ्ट किया गया था।
इन तीन पंचायतों के करीब दो दर्जन गांवों के एक हजार से अधिक परिवारों को आज भी अपना सरकारी राशन पाने के लिए कई मील का सफर तय करना पड़ रहा है। पटनम से लगभग 80 किमी दूर बसे सेंड्रा पंचायत में पांच गांव आते हैं।
यहां गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों की संख्या 308 है। सरकारी राशन दुकान से मिलने वाले 35 किलो चावल, दो किलो शक्कर, दो पैकेट चना, दो लीटर केरोसीन व नमक लेने इन्हें चार दिन का सफर तय करना पड़ता है।
एलेम इड़ैया अपनी पत्नी सनड्रक्का एलेम, बेटे रामकृष्ण व कामेश्वर के साथ सोमवार को इस पंचायत के गांव रालापल्ली से आए थे। वे बताते हैं कि हर माह दो दिन आने व दो दिन जाने में लगते हैं। इसी गांव के तलांडी सीताराम साइकिल लेकर राशन लेने आए थे।
सेंड्रा के एलादी संजय व बड़ेकाकलेड के सप्पीमरका से नागू बाई गोटा भी राशन लेने पहुंचे थे। इन सभी का कहना है कि अब जुडूम जैसे हालात नहीं हैं। शासन-प्रशासन भी इलाके में हालात सामान्य होने की बात कहता है फिर भी हमें राशन लेने इतनी दूर आना पड़ता है।
इससे कई प्रकार की परेशानियां होती हैं। उल्लेखनीय है कि इसके अलावा पटनम ब्लॉक के ही केरपे पंचायत के ग्रामीण भैरमगढ़ ब्लॉक के करकेली से अपना राशन उठाते हैं। केरपे पंचायत के अंतर्गत 23 गांव आते हैं।
नईदुनिया की खबर पर मानवाधिकार आयोग ने लिया है संज्ञान
नईदुनिया ने 5 जुलाई 2017 को सौ रुपए के राशन के लिए 110 किमी पदयात्रा शीर्षक से खबर प्रकाशित कर इस क्षेत्र के रहवासियों को होने वाली परेशानी को आवाज दी थी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस समाचार पर संज्ञान लेते छत्तीसगढ़ शासन को मुख्य सचिव के माध्यम से एक नवंबर को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। जिला प्रशासन की उपेक्षा को आड़े हाथ लेते इसे मानवाधिकारों का हनन माना गया है। नोटिस में कहा गया है कि नागरिकों के भोजन व जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है।