भोजराज उच्चसरे/शशिकांत तिवारी, भोपाल। जन्म से ही मूक-बधिर रेहाना ने अपने शौहर का घर महज इसलिए छोड़ दिया, क्योंकि ससुराल में शौचालय नहीं है। वह शौचालय बनवाने की गुहार लगाती, इशारों की भाषा से अहमियत समझाती रही, लेकिन ससुराल वालों ने उसकी मौन भाषा नहीं समझी। आखिरकार, अजीज आकर उसने पति का घर छोड़ दिया और मायके लौट आई।
अशोका गार्डन स्थित सेठी कॉलोनी की रहने वाली युवती रेहाना (23) का निकाह विदिशा जिले के ताल गांव निवासी किसान जाहिद खान से 15 मई 2015 में हुआ था। ससुराल पहुंचने पर उसे पता चला कि घर में शौचालय नहीं है। बोल-सुन न पाने वाली रेहाना ने इशारों में सुरक्षा का वास्ता देकर शौचालय बनवाने गुहार लगाई, लेकिन ससुराल वालों ने कहा कि जब घर की दूसरी महिलाएं खुले में शौच जा सकती है तो वह क्यों नहीं? उसे यह भी कहा गया कि मायके से पैसे लाएगी तो शौचालय बनवा देंगे।
तीन महीने का अरसा गुजर गया, लेकिन घर में शौचालय नहीं बन पाया। खुले में शौच जाने की रोजाना की शर्मिंदगी से छुटकारा पाने के लिए उसने शौहर का घर छोड़ा और भोपाल लौट आई। तब से वह मायके में ही रह रही है। हालांकि, पति जाहिद उसका साथ निभाने को राजी है, लेकिन शौचालय के लिए घर वालों की पैसों की मांग के सामने मजबूर है। वह उसे लेने भी आता रहा, लेकिन रेहाना जब तक ससुराल में शौचालय नहीं बन जाता, तब तक जाने से इनकार कर रही है। मामला भोपाल के जेपी अस्पताल स्थित गौरवी केंद्र में परामर्श के लिए पहुंचा तो रेहाना की यह साहसभरी दास्तान सामने आई। दोनों परिवारों के सदस्यों की काउंसलिंग भी हुई, लेकिन नतीजा शौचालय पर ही जाकर अटक गया।
गुसलखाना हो तो जाऊंगी
शौचालय नहीं होने से शौहर का घर छोड़ देने वाली पांचवी तक पढ़ी-लिखी रेहाना ने इशारों की भाषा में ‘नवदुनिया" से बताया कि जब तक ससुराल में गुसलखाना नहीं बन जाता, तब तक नहीं जाऊंगी। पति चाहे तो भोपाल आ जाएं। यहीं घर बसा लेंगे।
मिल जाए कोई मदद
रेहाना की मां खातून बी का भी यह कहना है कि उसके ससुराल वाले यदि शौचालय नहीं बनवाएंगे तो हम उसे नहीं भेजेंगे। खातून बी ने कहा कि कहीं से कोई आर्थिक मदद मिल जाए तो बेटी का जीवन संवर जाएगा। उसका घर आबाद हो जाएगा।
दो मामले ऐसे भी
ससुराल में नहीं बना टॉयलेट, पति पर एफआईआर
भोपाल की रहने वाली दिव्या (बदला नाम) की 22 साल की उम्र में गुना के एक बड़े किसान के यहां दो साल पहले शादी हुई। ससुराल में कई कमरे का पक्का मकान, 100 एकड़ जमीन है पर टॉयलेट नहीं। यह बात उसने मायके में बताई। ससुराल वाले दिव्या को मायके से दो बार यह बोलकर ले गए कि टॉयलेट बनवा देंगे। इसके बाद भी नहीं बनवाया। करीब छह महीने टॉयलेट के फेर में विवाद हुआ तो पति ने मारपीट कर दी। दिव्या ने गुना में ही एक थाने में पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
सार्वजनिक शौचालय के चलते छोड़ा पति का घर
भोपाल की ही रहने वाली 35 साल की प्रियंका (बदला नाम) की महाराष्ट्र के जलगांव में शादीहुई थी। पति ने जहां मकान लिया था वहां सार्वजनिक शौचालय था। प्रियंका पति को अलग से टॉयलेट बनाने के लिए बोल रही थी, पर पति तैयार नहीं हुआ। हमेशा पति से इस बात पर झगड़े होते थे। अब प्रियंका ने यह बोलते हुए पति के साथ रहने मना कर दिया कि उसकी बेटियां सार्वजनिक शौचालय में नहीं जाएंगी। वह एक साल से भोपाल में रह रही है।
ज्यादा जरूरी है शौचालय
घर से ज्यादा जरूरी शौचालय है। स्वच्छता ही नहीं सुरक्षा के लिहाज से भी यह बेहद जरूरी है। दिव्यांग महिलाओं को इस बात का डर रहता है कि शौच के लिए बाहर जाने पर उनके साथ कोई घटना न हो जाए।
शिवानी सैनी कोआर्डिनेटर, गौरवी भोपाल