झारखंड ECL माइन धंसान हादसा : अब तक सात शव निकाले गये, अब भी 35-40 मजदूर दबे हुए

गोड्डा/बोआरजोर (झारखंड) : झारखंड के गोड्डा जिले के ललमटिया क्षेत्र के भोड़ाय काेल माइंस साइट में गुरुवार रात आठ बजे धंसे खदान से अब तक सात लाशें निकाली जा चुकी है. एक लाश मलवे में दबी हुई दिखाई दे रही है. 35 से 40 और मजदूरों के दबे होने की आशंका है. मलवे ने निकाली गयी सात में पांच लाशों की पहचान कर ली गयी है. इनमें से एक झारखंड, तीन बिहार और एक उत्तरप्रदेश के मजदूर की लाश है. इसीएल के सीएमडी राजीव मिश्रा कुछ देर पहले चार लाशों को निकाले जाने और एक लाश के मलवे में दिखाई देने की पुष्टि की थी.
 
 

खदान में 20 वोलबो, एक डोजर, छह पोकलेन वोलबो, एक बोलेरो भी धंसा हुआ है. आशंक़ा जतायी जा रही है कि खदान में दबे सभी मजदूराें की मौत हो चुकी है. एनडीआरआफ की रांची और पटना से पहुंचीें टीमें राहत और बचाव कार्य में लगी हुई हैं. ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि बचाय कार्य जारी है और घटना की जांच शुरू कर दी गयी है. पीयूष गोयल ने हादसे के बाद कल रात गोड्डा के उपायुक्त से घटना की जानकारी ली.

 

 

मुख्यमंत्री रघुवर दास घटना पर नजर बनाये हुए हैं. उन्होंने आज मीडिया से कहा कि जांच में दोषी पाये जाने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने घटना पर दुख जताया है. उन्होंने कल रात फोन पर गोड्डा के उपायुक्त से घटना की जानकारी ली और बचाव एवं राहत कार्य तेजी से चलाने का निर्देश दिया. सीएम ने वरिष्ठ अधिकारियों को घटनास्थल पर भेजा और राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और जीपी को राहत कार्य की सतत निगरानी का निर्देश दिया.
 

 

 

CISF के मुताबिक घंसी खदान में 40-50 मजदूर हो सकते हैं. हादसे के बीच बिजली आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त हो जाने के कारण बचाव कार्य शुरू करने में बाधा आयी. घंसी खान में दबे सभी मजदूर प्राइवेट कंपनी के हैं, जिसे ECL ने आउटसोर्सिंग के तहत कोल उत्खनन का कार्य सौंपा है.
 

 

 

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ECL के ललमटिया स्थित भोड़ाय साइट में खदान धंसने की घटन गुरुवार को रात करीब 8 बजे हुई. खान घंसने से करीब 300 फीट नीचे मजदूर और वाहन दब गये. कोहरे और ठंड के कारण राहत कार्य व्यापक पैमाने पर शुरू नहीं हो सका. स्थानीय स्तर पर राहत कार्य शुरू किया गया था. एनडीआरएफ की टीम आज पहुंची. उसके बाद राहत और बचाव कार्य में तेजी आयी.

 

 

बताया जाता है कि हादसे की वजह ECL प्रबंधन की लापरवाही है. पर्याप्त सुरक्षा इंजताम के इस खदान में तीन पहले फिर से कोयले का उत्ख्रनन कार्य शुरू किया गया था. यह भी बताया जा रहा है. तीन दिन पहले इसीएल के सीजीएम और सर्वेयर ने खदान का निरीक्षण िकया था. इसके बाद ही फिर से उत्खनन की अनुमित दी गयी, जबिक परोजना के इंजीनियर ने उन्हेंख्रदान में दरार आने की सूचना दी थी, लेकिन उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया.
 

 

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हादसे के बाद से ही अासपास के इलाकों में हाहाकार मच गया. बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर जुट गये. इसीएल के सभी पदाधिकारी व एसडीपीओ आर मिश्रा के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल खदान के पास पहुंचा. हालांकि बिजली के सारे खंभे जमींदोज हो गये हैं. इससे बिजली कट गयी है और बचाव कार्य शुरू करने में बाधा आयी.

 

खदान में दबे कुछ मजदूर और कर्ममचारी दूसरे राज्यों के भी हैं, जबकि ज्यादातर मजदूर आसपास के भादो टोला, भोराईं, नीमा व ललभुटवा आदि गांव के बताये जा रहे हैं. इस खदान को इसीएल ने महालक्ष्मी खनन कंपनी को लीज पर दे रखा है, उत्खनन और परिवहन में लगे उपकरण सुखदेव एंड कंपनी की बतायी जाती है.

 

हादसे के वक्त हो रहा था उत्खनन

गुरुवार को काम के दौरान ही अचानक ही खदान धंस गयी और पल भर में 300 फीट गहरी खदान समतल मैदान में तब्दील हो गयी, जिसके नीचे वहां काम कर रहे मजदूर और कर्मचारी के साथ गाड़ियां भी जमींदोज हो गयीं. घटना से कर्मचारियों और मजदूरों के परिजनों में आक्रोश है. कल रात एक ओवर मैन हेमनारायण यादव को जख्मी हालत में वहां से निकाला गया था. उसे इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल ले जाया गया था. केंदुआ गांव रहने वाले वाहन चालक शहादत अंसारी ने फोन पर बताया कि खदान में जहां मलवा गिरा, वहां 300 फीट गहरी खायी है.

 

पहले भी हो चुकी है दुर्घटना

करीब छह माह पहले भी इसी खदान में एक ड्रील मशीन डूब गयी थी. कंपनी ने उस घटना से सबक नहीं लिया और पूर्व की तरह काम चालू रखा. घटना के बाद से वहां के मजदूर आक्रोशित हैं.

 

10 साल पुरानी थी भोड़ाय साइट

इसीएल राजमहल परियोजना की ललमटिया की भोड़ाय साइट में पिछले 10 सालाें से खुदाई का काम चल रहा था. इस कारण इसे डीप माइनिंग के नाम से जाना जाता है. खदान में पहले ही काफी खनन कार्य हो चुका था. चारों ओर से खदान धंसने लगी थी. बता दें कि तीन दिन पहले इसीएल के सीएमडी आरआर मिश्रा राजमहल परियोजना को निरीक्षण करने आये थे. उन्होंने भोड़ाय साइट का भी निरीक्षण किया था. यहां से अधिक उत्खनन का निर्देश दिया था. साथ ही भोड़ाय गांव को भी हटाने का निर्देश दिया था. इधर, प्रबंधन तेजी से खनन कार्य में जुटा ही था कि खदान धंस गयी.

 

 

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