एमपी — डेंगू को लेकर हाई अलर्ट, लेकिन 22 जिलों में सरकारी जांच के इंतजाम नहीं

भोपाल। शशिकांत तिवारी। रायसेन के प्रकाश वंशकार (20) को 20 दिन से बुखार आ रहा था। दवा लेने के बाद भी बुखार कम नहीं हुआ। खून की जांच में भी कुछ पता नहीं लगा। तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो एम्स भोपाल में जांच कराई जहां प्रकाश को डेंगू की पुष्टि हुई। हालांकि प्रकाश अब ठीक है लेकिन महीने भर से ज्यादा समय तक बुखार रहने से उसकी हालत काफी खराब हो गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रायसेन में डेंगू के टेस्ट की व्यवस्था नहीं है। रायसेन ही नहीं प्रदेश के 22 जिलों के सरकारी अस्पतालों में अब तक डेंगू की जांच के इंतजाम नहीं हैं।

 

नहीं बढ़ी सुविधाएं
2009 से अब तक प्रदेश में करीब 5 हजार लोग डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। इनमें लगभग 60 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी सरकार ने जांच सुविधाएं बढ़ाने की कोशिश नहीं की। प्रदेश के 29 जिलों की 34 लैब में डेंगू की जांच की जा रही है लेकिन बाकी जिलों में जांच के इंतजाम न होने से जब तक मरीजों में डेंगू का पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। भोपाल के अस्पतालों में जुलाई से अब तक दूसरे जिलों के 4 मरीजों की मौत हो चुकी है। इसकी वजह यही रही कि मरीज की जांच देर से हुई।
जांच में साढ़े 10 हजार का खर्च
डेंगू की जांच एलाइजा रीडर से होती है । एलाइजा रीडर 2 से 5 लाख रुपए में आता है लेकिन, इसकी जांच की किट महंगी है। एलाइजा रीडर में एक बार में अधिकतम 21 सैंपल की जांच की जा सकती है। सैंपल एक हो या 21, किट 21 सैंपलों के हिसाब से ही लगती है। इसका खर्च साढ़े 10 हजार रुपए है। इस वजह से स्वास्थ्य विभाग हर जगह जांच शुरू करने से बच रहा है।
जांच में देरी से नुकसान
– डायबिटीज, बीपी और हार्ट के मरीजों को ज्यादा खतरा, इलाज जल्दी शुरू नहीं हो पाता।
– मलेरिया विभाग लार्वा सर्वे व मच्छर मारने के लिए दवाओं का छिड़काव नहीं करता ।
– मरीज की प्लेटलेट की निगरानी नहीं हो पाती।
– निजी लैब में रैपिड किट से जांच कराने पर 800 से 1000 रुपए खर्च होता है।
जांच सुविधाएं बढाएंगे
29 जिलों की 34 लैब में जांच की जा रही है। दूसरे जिलों में भी जांच सुविधाएं बढ़ाने का प्रस्ताव है। संदिग्ध मरीज के इलाज में कोई दिक्कत नहीं आती, क्योंकि डेंगू के इलाज की कोई खास दवा नहीं है।
डॉ. केएल साहू संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं

 

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