मानव तस्करी : नाबालिग बच्चों को डेढ़-डेढ़ हजार रुपए में बेचा

कोंडागांव। मानव तस्करी के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। दो नाबालिग बच्चों को महज 1500-1500 रुपए में भेड़ चराने के लिए बेच दिया गया था, जिन्हें पुलिस ने ग्राम गोटाटोला थाना मोहला जिला राजनांदगांव से बरामद किया है।

प्रार्थी समारू राम पिता बालोराम नेताम एवं घनीराम पोयाम पिता सकलू राम पोयाम ग्राम बड़ेघोड़सोरा द्वारा 29 सितंबर को थाना माकड़ी में रिपोर्ट दर्ज कराया गया कि इनके 12 एवं 14 वर्षीय नाबालिग बच्चे 25 सितंबर शाम से कहीं चले गए हैं जो अपने जान पहचान एवं रिश्तेदारों के घर पतासाजी के बाद भी नहीं मिले। आशंका है कि कोई अपहरण कर ले गया है।

उपरोक्त सूचना पर थाना माकड़ी में धारा 363 भादवि के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया। एसपी संतोष सिंह भापुसे द्वारा बच्चों की पतासाजी के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दीपमाला कश्यप के नेतृत्व में थाना माकड़ी एवं क्राइम ब्रांच के अधिकारी-कर्मचारियों को मिलाकर विशेष टीम का गठन किया गया।

गठित टीम को पतासाजी के दौरान ज्ञात हुआ कि ग्राम मर्दिया का परसूराम मण्डावी एवं खण्डसरा का तुलाराम बघेल घटना दिनांक को ग्राम बड़े घोड़सोरा में देखे गए थे। जिन पर संदेह होने पर उनके गांव जाकर दोनों को तलब कर कड़ाई से पूछताछ करने पर परसूराम मंडावी एवं तुलाराम बघेल ने बताया कि भेड़ पालक/व्यापारी श्यामा रब्बारी से इनकी पूर्व से जान पहचान है, जिसने इन्हें भेड़ चराने हेतु लड़कों की व्यवस्था करने एवं बदले में नगद रुपए देने को कहा था।

दोनों आरोपी भेड़ चराने के लिए लड़के भेजने के लिए आसपास के गांव में घूम रहे थे, तभी इनकी मुलाकात अपहृत बधाों से हो गया, जिन्हें 700-700 रुपए प्रति माह मजदूरी देने का लालच देकर बहला-फुसलाकर अपने झांसे में लिया गया और बिना उनके माता-पिता के सहमति के दोनों को भेड़ व्यापारी श्यामा रब्बारी के पास ग्राम गोटाटोला पहुंचा दिया गया। भेड़ पालक(व्यापारी) श्यामा रब्बारी ने दोनों बच्चों के एवज दोनों आरोपियों को 1500-1500 रुपए दिए थे।

उपरोक्त सूचना पर पुलिस टीम ग्राम गोटाटोला पहुंच कर आरोपी श्यामा रब्बारी के पास से दोनों बच्चो को सकुशल बरामद कर वापस आए है। उपरोक्त मामले में बच्चों का अवैध व्यापार (मानव तस्करी) करना पाए जाने से धारा 370(5), 34 भादवि जोड़ा गया है, मामले में तीनों आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। अपहृत नाबालिक बच्चों को बाल कल्याण समिति के माध्यम से उनके माता-पिता को सुपुर्द कर दिया गया है।

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