आतंकवादी कृत्य मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन : भारत

जिनिवा: भारत ने आज कहा कि उसका दृढता से यह मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ ‘‘बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने” की नीति अपने लोगों से की गई प्रतिबद्धता के साथ ही एक अंतरराष्ट्रीय दायित्व भी है. भारत ने यह बात अपनी सेना पर एक भीषण आतंकवादी हमला होने के एक दिन बाद कही जिसमें 18 सैनिक शहीद हो गए. भारत ने यहां संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 33वें सत्र में बयान देते हुए परिषद का आह्वान भी किया कि वह पाकिस्तान से कहे कि वह सीमापार घुसपैठ पर रोक लगाये, आतंकवाद के ढांचे को नष्ट करे और आतंकवाद के केंद्र के तौर पर काम करना बंद करे.


भारत ने कहा, ‘‘समय आ गया है कि भारत की धरती पर यह जघन्य हिंसा जारी रखने वालों को पाकिस्तान की ओर से दिये जाने वाले नैतिक और साजोसामान समर्थन पर यह परिषद ध्यान दे.” भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और बलूचिस्तान सहित पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में उत्पीडन एवं मानवाधिकार के खुलेआम उल्लंघन का मुद्दा एक बार फिर उठाते हुए कहा कि इसका पूरे क्षेत्र की स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है. भारत ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा अपने लोगों के एक बडे हिस्से से दुर्व्यवहार करने से एक अशांति उत्पन्न हुई है जिसने अपने पड़ोसी देशों की सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न करना शुरू कर दिया है.

भारत की ओर से बयान में कहा गया, ‘‘भारत का दृढता से यह मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपने लोगों से की गई प्रतिबद्धता के साथ ही एक अंतरराष्ट्रीय दायित्व भी है.” भारत ने जोर देकर कहा कि आतंकवादी कृत्य मानवाधिकार का सबसे बडा उल्लंघन है क्योंकि यह पीडितों से सबसे मूल मानवाधिकार….जीवन जीने का अधिकार छीन लेता है. भारत ने कहा कि यह मुद्दे के किसी भी निष्पक्ष पर्यवेक्षक को स्पष्ट होना चाहिए.

भारत ने कहा कि भारत अपने पडोस से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद से लंबे समय से प्रभावित रहा है. कश्मीर में गडगडी का मूल कारण पाकिस्तान की ओर से प्रोत्साहित सीमापार आतंकवाद है जो कि इतना निष्ठुर है कि वह नागरिकों और यहां तक कि बच्चों को हिंसक भीड के आगे खडा करके खतरे में डालकर उनका इस्तेमाल करने से संकोच नहीं करता. भारत ने कहा कि हम इस परिषद से आग्रह करते हैं कि वह इस खतरे पर समग्र दृष्टिकोण अपनाये और आतंकवाद का इस्तेमाल मानवाधिकार का बहाना बनाकर देश की नीति के तौर पर नहीं करने दे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *