छत्तीसगढ़ में सुरक्षित नहीं हैं बुजुर्ग- एनसीआरबी की रिपोर्ट

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सीनियर सिटीजन को सुरक्षा देने के मामले में पुलिस कमजोर साबित हो रही है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों से खुलासा हो रहा है कि प्रदेश में बुजुर्गों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर बुजुर्गों के लिए हुए अपराध के मामले में छत्तीसगढ़ पांचवें पायदान पर है।

एनसीआरबी ने लगातार दूसरे वर्ष 2015 में भी दिल्ली को वरिष्ठ नागरिकों के लिए असुरक्षित शहर के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

सीनियर सिटीजन की हत्या और हत्या की कोशिश के सबसे ज्यादा मामले तमिलनाडु में दर्ज किए गए हैं। जबकि दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र, तीसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश और चौथे स्थान पर मध्यप्रदेश है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साल 2015 में देशभर में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ हुए विभिन्न अपराधों के कुल 20,532 मामले दर्ज किए गए, जबकि साल 2014 में यह संख्या 18,714 थी।

इसमें हत्या के 1035 और हत्या के प्रयास के 465 मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में सीनियर सिटीजन, महिला और बच्चे सुरक्षित नहीं है। प्रदेश में वरिष्ठ नागरिकों की हत्या के 63 और हत्या के प्रयास के 12 मामले दर्ज किए गए। वहीं, महिलाओं के साथ दुराचार के 1560, जबकि बच्चों से दुराचार के 317 मामले दर्ज किए गए। वहीं, प्रदेश के 70 बच्चों की अपराधियों ने वर्ष 2015 में हत्या भी कर दी।

भ्रष्टाचार के मामले में टॉप पर

भ्रष्टाचार के मामले में भी छत्तीसगढ़ टॉप पर है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, देश के 29 राज्यों में एंटी करप्शन ब्यूरो तथा विजिलेंस विभाग द्वारा संज्ञेय अपराध के रूप में दर्ज 147 मामलों की जांच नहीं की गई या उनकी जांच बंद कर दी गई है, जिसमें 81 मामले छत्तीसगढ़ के ही हैं। प्रदेश में प्रिवेंन्सन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 के तहत साल 2015 में 50 नये मामले दर्ज किए गए। वहीं, वर्ष 2014 के 101 मामलों की जांच पूरी नहीं हुई।

इस तरह छत्तीसगढ़ में साल 2015 में 151 भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करनी थी। एनसीआरबी के अनुसार, प्रदेश में वर्ष 2015 में 70 मामलों की जांच की गई। वहीं, 81 मामलों की जांच या तो नहीं की गई या उनकी जांच बंद कर दी गई है। छत्तीसगढ़ के अलावा जम्मू-कश्मीर में 10, कर्नाटक में 10, केरल में 5, महाराष्ट्र में 1, पंजाब में 9 तथा उत्तर प्रदेश में 29 मामलों की जांच नहीं की गई।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *