पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग में हिंडन और कृष्णा नदी के किनारे बसे सैंकड़ों गांव के लोगों के लिए पानी सबसे बड़ा जहर है. यहां मौजूद पानी में धातु की मात्रा के कारण बच्चों को कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं. यह सब कुछ पिछले दो दशक से हो रहा है.
राज्य सरकार ने इस स्थिति में सुधार के लिए कुछ नहीं किया. इससे मजबूर गांव वालों ने 2014 में एनजीओ की मदद से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया.
लंबी सुनवाई के बाद एनजीटी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव समेत अन्य बड़े अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए तीन दिनों के भीतर गांवों को साफ पानी मुहैया कराने का आदेश दिया है. साथ ही एनजीटी ने कहा कि समय के भीतर आदेश का पालन करने के लिए उसे ईमेल के जरिए भेजा जाएगा.
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