बाद में इसे पानी में डालकर उसे साफ करने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके लिए दिल्ली और एनसीआर में श्री श्री रविशंकर के समर्थकों ने 50 हजार स्वयंसेवक का ग्रुप तैयार कर लिया है। उनकी संख्या चार लाख तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इस मुहिम का नेतृत्व पर्यावरणविद् अनिल कपूर कर रहे हैं। कपूर के मुताबिक, अभियान के दूसरे चरण में मई के अंतिम सप्ताह में समर्थकों के साथ शाहदरा ड्रेन से निकलकर यमुना में जाने वाले गंदे पानी को साफ करने के लिए श्रमदान किया जाएगा। अनिल कपूर ने प्रथम चरण में देसी एंजाइम का सराय काले खां के बारापुल्ला नाले में सफलतापूर्वक प्रयोग करने का दावा किया है। अब दिल्ली जल बोर्ड और गाजियाबाद नगर निगम से इस एंजाइम का प्रयोग कर गंदे नाले को साफ करने के लिए अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया गया है।
फरीदाबाद से यमुना हो जाएगी सिंचाई लायक
देसी एंजाइम का प्रयोग होने के बाद यमुना का पानी दिल्ली में तत्काल पीने लायक नहीं हो पाएगा, लेकिन फरीदाबाद पहुंचते ही उसका पानी सिंचाई लायक हो जाएगा। दिल्ली से 260 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद आगरा या इसके आसपास पहुंचते पहुंचते यमुना का पानी पीने लायक हो जाएगा।
क्या है देसी एंजाइम
देसी एंजाइम की खोज मूल रूप से थाइलैंड के वैज्ञानिक डॉ. रुसकोन ने की थी। इन दिनों इस पर भारत में श्रीश्री रविशंकर के नेतृत्व में उनके पर्यावरण विंग से जुड़े लोग कार्य कर रहे हैं।
इस प्रकार होता है तैयार
घर में फल, साग-सब्जियों के कटे हुए कचरे को बारीक काटकर दो लीटर पानी के बोतल में रख लें और उसमें 100 ग्राम गुड़ डाल दें। साथ ही इसमें एक लीटर पानी भी डाल दें। इसके बाद इस बोतल के ढक्कन को बंद कर दें और फिर 90 दिनों के लिए छोड़ दें। इसके बाद तैयार हुए एंजाइम में पानी मिलाकर उसका छिड़काव गंदे पानी पर करें। तैयार किए एक लीटर देसी एंजाइम से 10 हजार लीटर तक गंदे पानी को साफ किया जा सकता है।
अनिल कपूर कहते हैं कि यह प्रयोग सफल रहा है। इस आधार पर हमने दिल्ली जल बोर्ड और गाजियाबाद नगर निगम आयुक्त से गंदा नाला सहित यमुना के पानी को साफ करने की अनुमति मांगी है।