छत्तीसगढ़ की ग्राम पंचायतों में अब पांचवीं पास व्यक्ति ही पंच और आठवीं पास व्यक्ति ही सरपंच बन सकेंगे। इसके साथ ही पंच-सरपंच बनने के लिए उनके मकान में जलवाहित शौचालय होना भी जरूरी है। इसके लिए छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है।
पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने सोमवार को इससे संबंधित छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) विधेयक 2016 विधानसभा में प्रस्तुत किया। संशोधन विधेयक के अनुसार पंच पद के लिए पांचवीं परीक्षा और पंच के ऊपर के पदधारी के लिए आठवीं या समक्षक परीक्षा पास होना जरूरी है।
यह प्रावधान इस संशोधन के लागू होने के पूर्व निर्वाचित पदधारियों के विषय में लागू नहीं होगा। वर्तमान में यह प्रावधान है कि पंच-सरपंच बनने के लिए केवल साक्षर होना जरूरी है। इसी प्रकार कोई व्यक्ति किसी पंचायत में पंच-सरपंच बनने का पात्र नहीं होगा, जिसके निवास परिसर में जलवाहित शौचालय न हो।
वर्तमान में यह प्रावधान है कि निर्वाचित हो जाने के एक वर्ष के भीतर जलवाहित शौचालय बनाना अनिवार्य है। अधिनियम में संशोधन के उद्देश्य और कारणों के बारे में बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने और शिक्षा के स्तर में सुधार करने के लिए राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 में संशोधन का निर्णय लिया है।
छह संशोधन विधेयक पेश किए गए
छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को राज्य सरकार की ओर से पांच संशोधन विधेयक पेश किए गए। इनमें छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक, छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक, छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) विधेयक, छत्तीसगढ़ मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक तथा छत्तीसगढ़ राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2016 शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम की अनुसूची में संशोधन अब राज्य सरकार कर सकेगी। इसके लिए छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद (संशोधन) विधेयक लाया गया है। जिला अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में नवीन स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जाना है।
इन पाठ्यक्रमों को उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों की अतिरिक्त योग्यता का पंजीयन करने के लिए नवीन पाठ्यक्रमों का समावेश अधिनियम की अनुसूची में करना आवश्यक होगा। वर्तमान में अनुसूची में संशोधन का प्रावधान नहीं है। अधिनियम में बार-बार संशोधन न करना पड़े, इसके लिए अधिनियम में संशोधन कर अनुसूची को संशोधित करने का अधिकार राज्य शासन को करना प्रस्तावित है।