अम्बुज माहेश्वरी, रायसेन(मध्यप्रदेश)। प्रदेश के कई शिक्षकों ने लंबे अरसे से मंत्री-सांसद और विधायकों का दामन थाम लिया है। इन शिक्षकों की अपने मूल शैक्षणिक कार्य के बजाए माननीयों की चाकरी में रुचि है। खासबात तो यह है कि मंत्री, सांसद और विधायक भी अपने निजी स्टाफ में ज्यादातर शिक्षकों को तरजीह देते हैं। शिक्षकों के स्कूल छोड़ने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई स्कूल शिक्षकविहीन हैं और पूरा स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे हैं।
अपर मुख्य सचिव का आदेश भी ताक पर
अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती के आदेश हैं कि शिक्षकों को किसी भी स्थिति में गैर शिक्षकीय कार्य में नहीं लगाया जा सकता फिर भी शिक्षकों को नियम विरुद्ध तरीके से मंत्री, सांसद और विधायकों के निजी स्टाफ में शामिल किया गया है।
मेरे स्टाफ में भी पहले शिक्षक ही था
मेरे निजी स्टाफ में भी पहले शिक्षक ही था, लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए उसे वापस अपने मूल पदस्थापना स्थल पर भेज दिया। उसके बाद हमारे विभाग ने आदेश भी जारी किया कि शिक्षकों को गैर शिक्षकीय कार्य में न लगाया जाए। हम जनप्रतिनिधियों से आग्रह करेंगे कि वे अपने निजी स्टाफ में शिक्षकों के बजाए अन्य विभागों के कर्मचारियों को तरजीह दें। -दीपक जोशी, राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग