नई दिल्ली। असामान्य सूखी व हल्की ठंड पड़ने के कारण देश में गेहूं की पैदावार लगातार दूसरे साल घटकर नौ करोड़ टन से कम रहने की आशंका है। भारत दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
कमजोर मानसून व फरवरी-मार्च में बेमौसम बारिश के चलते 2014-15 में गेहूं उत्पादन घटकर 8.89 करोड़ टन रहा था। इससे पिछले वर्ष रिकॉर्ड 9.58 करोड़ टन उत्पादन हुआ था। रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है। कटाई का आरंभ अप्रैल से होता है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गेहूं की बुवाई पीछे चल रही है। लगातार दो सूखे वर्षों के मद्देनजर असामान्य रूप से शुष्क व हल्की ठंड पड़ने की वजह से तापमान का दबाव ज्यादा है। इससे गेहूं का उत्पादन कम से कम पांच फीसद प्रभावित होगा।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक गेहूं का बुवाई रकबा चालू रबी सीजन में दिसंबर तक 20 लाख हेक्टेयर पीछे 2.71 करोड़ हेक्टेयर पर है। इससे पिछले साल की इसी अवधि में यह 2.93 करोड़ हेक्टेयर था। गेहूं के बुवाई रकबे में 20 लाख हेक्टेयर की कमी का मतलब हुआ कि सूखा वर्ष 2014-15 में हासिल 2.9 टन प्रति हेक्टेयर के औसत उत्पादन को ध्यान में रखते हुए उत्पादन करीब 60 लाख टन कम रहेगा।
गेहूं की फसल को नाजुक चरण में बताते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के उप महानिदेशक (फसल विज्ञान) जेएस संधू ने कहा कि अधिक तापमान के दबाव से विशेष रूप से गेहूं की पैदावार घटती है। अगले 15-20 दिनों में यदि बारिश हुई तो पैदावार में कुछ नुकसान की भरपाई करने में मदद मिल सकती है।