भोपाल। ग्रामीण विकास के काम करने वाली पंचायतें जल्द ही राशन दुकानें भी चलाएंगे। इसके लिए सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश-2015 में संशोधन की तैयारी कर रही है। वहीं, सहकारी समितियों की परिभाषा भी नए सिरे से तय की जाएगी।
इस पर अंतिम फैसला 4 जनवरी को मुख्यमंत्री के साथ होने वाली खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग की समीक्षा बैठक में होगा। इसके बाद कैबिनेट में नियंत्रण आदेश में संशोधन का मसौदा पेश किया जाएगा। खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने मार्च 2015 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश किया है। इसमें प्राथमिक कृषि और साख सहकारी समितियों को राशन दुकाने दिए जाने का प्रावधान है।
इसे बहुउद्देश्यीय समितियों ने हाईकोर्ट में चुनौती थी। अदलात ने सुनवाई के बाद आदेश दिए हैं कि समितियों में भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इसके मद्देनजर नियंत्रण आदेश में संशोध्ान करने का निर्णय विभाग ने लिया है। वहीं, सहकारिता विभाग ने नए सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश के आध्ाार पर राशन दुकान संचालक के लिए इच्छुक सहकारी समिति के लिए नए नियम बना दिए।
इससे करीब 30 से 40 फीसदी समितियों से दुकानें छिनने की संभावना पैदा हो गई है। बताया जा रहा है कि इन सभी समितियों से जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को अपना कर्ज वसूल करना है। कर्जदार समितियां राशन दुकानें नहीं ले सकती हैं। ज्ञात हो कि प्रदेश में 21 हजार राशन दुकानें हैं।
इनमें 70 से 80 फीसदी सहकारी समितियां चलाती हैं। सूत्रों के मुताबिक दुकान संचालक के लिए समितियों की संभावित कमी को देखते हुए विभाग ने पंचातयों को दुकानें देना पर विचार शुरू कर दिया है। वैसे भी सरकार ने हर पंचायत में एक राशन दुकान खोलने का निर्णय किया है। 2016 में सभी पंचायतों में दुकानें खोली जानी हैं।