दशरथ सिंह परिहार, गुना। आदिवासी छात्राओं को सरकारी स्कूल में दाखिले के लिए प्रेरित करने पर उनकी माताओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि में भी शिक्षा विभाग के घोटालेबाज अफसरों ने 3.16 करोड़ का घपला कर दिया। पूर्व जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी), पांच ब्लॉक स्रोत समन्वयक (बीआरसी) और हेडमास्टरों ने जिले के पांचों ब्लॉक में 150 स्कूलों की दस हजार 500 से अधिक छात्राओं को कागजों में आदिवासी बताकर पैसा डकार लिया। जिन छात्राओं के नाम पर राशि जारी की गई, उस नाम की छात्राएं स्कूल के रिकॉर्ड में हैं ही नहीं।
इतना ही नहीं, इन घोटालेबाजों ने यह पैसा अपने परिजन के एकाउंट में ट्रांसफर करवाया। इधर, जिन स्कूलों में आदिवासी छात्राएं हैं, वे इस योजना का लाभ लेने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों के चक्कर काट रही हैं।
यह है मातृ प्रोत्साहन योजना
आदिवासी छात्राओं को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने छठवीं, सातवीं और आठवीं में पढ़ने वाली प्रत्येक आदिवासी छात्रा को तीन-तीन हजार रूपए दिए जाते हैं।
ये जिम्मेदार
घोटाले के लिए सीधे तौर पर डीपीसी और पांच बीआसीसी (गुना, आरोन, बमोरी, राघौगढ़ और चाचौड़ा)। इन्होंने स्कूलों के बगैर मांग पत्र के ही राशि जारी की और शिक्षकों से साठगांठ कर राशि हड़पी।
घोटाले की बानगी
गुना जिले के आरोन ब्लॉक के सांकरी मिडिल स्कूल में एक भी सेहरिया आदिवासी छात्रा नहीं है। लेकिन शिक्षा विभाग ने 40 छात्राओं को फर्जी आदिवासी बनाकर 1.20 लाख रूपए (प्रति छात्रा तीन हजार रूपए) की राशि बांटना दिखा दिया।
वर्ष 2013-14 में आरोन ब्लॉक के रामगिर खुर्द प्राइमरी स्कूल में भी एक भी आदिवासी छात्र-छात्रा नहीं थे। लेकिन इस स्कूल के लिए 8 आदिवासी छात्रों को प्रति छात्र तीन हजार के मान से 24 हजार की राशि जारी कर दी गई। लेकिन इन्हें नहीं मिला पैसा
गुना ब्लॉक के मिडिल स्कूल गढ़ला गिर्द में 131 आदिवासी छात्राएं हैं, लेकिन एक को भी राशि नहीं दी गई। – मिडिल स्कूल विरोली के 95 और मिडिल स्कूल चतराई के 88 आदिवासी छात्राएं योजना के लाभ से वंचित रह गए।
बीआरसीसी ने कोई गड़बड़ी कर दी तो मैं दोषी क्यों
पूर्व डीपीसी सेहरिया मातृ प्रोत्साहन राशि वितरण में गड़बड़ी पूर्व प्रभारी डीपीसी नरेन्द्र उपाध्याय के कार्यकाल में हुई। वर्तमान में नरेंद्र उपाध्याय राघौगड़ ब्लॉक के डोंगर हायर सेकंडरी स्कूल में प्राचार्य हैं। गड़बड़ी में आरोन बीआरसीसी विजय श्रीवास्तव, गुना बीआरसी रहे विनोद रघुवंशी और राघौगढ़ बीआरसीसी धर्मेंद्र सिंह भदौरिया भी शामिल हैं। पूर्व डीपीसी नरेंद्र उपाध्याय का कहना है कि उन्होंने तो बीआरसीसी की रिपोर्ट पर ही पैसा जारी किया था। उन्होंने कोई गड़बड़ी कर दी तो इसमें उनका क्या दोष।
ऐसे हुई 3.16 करोड़ की गड़बड़ी
वर्ष बच्चे राशि 2010-11 896 26.88 लाख 2011-12 1150 34.50 लाख 2012-13 4176 1.25 करोड़ 2013-14 4338 1.3 करोड़
इनका कहना है
कुछ दिन पहले ही मुझे मातृ प्रोत्साहन योजना में गड़बड़ी की शिकायत मिली है। इसकी विधिवत जांच करवाई जाएगी। दस्तावेज की जांच के बाद जांच शुरू करवाएंगे। दोषी अधिकारियों से वसूली कर छात्राओं का पैसा दिलाएंगे।
श्रीमन शुक्ला, कलेक्टर, गुना