दो साल का संघर्ष, खर्च 3 लाख, क्लेम मिला 3, 6 व 13 रुपए

बलबीर सिंह, ग्वालियर। सोयाबीन की खराब हुई फसल की बीमा का पैसा लेने के लिए विदिशा के किसानों ने दो साल तक संघर्ष किया। हाईकोर्ट में केस लड़ा और तीन लाख रुपए खर्च भी किए। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय कृषि बीमा निगम ने किसानों को जो राशि दी उसे देखकर वे हैरान रह गए। किसी के खाते में 3 रुपए आए तो किसी को 6, 13, 25 से लेकर अधिकतम 610 रुपए तक मिले। किसान अपने साथ हुए इस मजाक को लेकर फिर से हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

जारी हो चुका है फंड

बीमा कंपनी अधिवक्ता पवन सिंह रघुवंशी ने बीमा क्लेम को लेकर भारतीय कृषि बीमा निगम को अवमानना का नोटिस भेजा है। नोटिस पहुंचने पर निगम ने 11 नवंबर 2015 को जवाब दिया कि हाईकोर्ट के आदेश पर 373 करोड़ का फंड सरकार को जारी किया जा चुका है। क्लेम की राशि किसानों को दी जा रही है। वर्ष 2014-15 में भी ओलावृष्टि से काफी फसल खराब हुई थी, लेकिन अभी तक बीमा राशि नहीं मिली।

ये है मामला

किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत ऋण लेने पर राशि का बीमा किया जाता है। प्रदेश भर से कंपनी को 100 करोड़ से अधिक का प्रीमियम मिलता है। फसल खराब होने पर किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए। वर्ष 2013-14 में कम बारिश की वजह से ग्वालियर चंबल संभाग सहित विदिशा जिले में सोयाबीन की फसल खराब हुई थी।

खरीफ की फसल के लिए किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लिया। फसल का भी बीमा किया गया। फसल खराब हुई लेकिन किसानों को क्लेम नहीं मिला। इसके चलते 245 किसानों ने ग्वालियर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद बीमा कंपनी ने भुगतान नहीं किया। फिर अवमानना याचिका दायर की गई। कोर्ट ने राशि भुगतान का आदेश दिया। दो साल बाद राशि तो मिली, लेकिन किसान अब भी परेशान हैं।

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