हालांकि 79 प्रतिशत परिवार दोहरी आमदनी, जीवन शैली और सुविधाओं में भारी बढ़ोतरी के कारण करीब 79 प्रतिशत परिवार तुरंत बनने वाले खाने को तरजीह देते हैं। इस सर्वेक्षण में 76 प्रतिशत माता-पिता जो कामकाजी हैं और बच्चे पांच साल से कम उम्र के हैं वे किसी न किसी तरीके से महीने में 10-12 बार आसानी से तैयार होने वाला खाना खिलाते हैं।
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा शहरी इलाकों विशेष तौर पर महानगरों में डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ की खपत बहुत अधिक है जहां जीवन की रफ्तार तेज है और इस क्षेत्र में बहुत सी कंपनियां आकर्षित हो रही हैं। रपट के मुताबिक शहरी, कस्बाई और ग्रामीण उपभोक्ताओं में काफी फर्क है। डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में शहरी क्षेत्र का योगदान 80 प्रतिशत है।
रपट में कहा गया कि 76 प्रतिशत एकल परिवारों को लगता है कि उन्हें पास रसोई के लिए कम समय है जबकि 79 प्रतिशत अकेले रहने वाले लोग सुविधाजनक खाद्य पदार्थों को तरजीह देते हैं। ऐसी स्थिति में तैयार खाना घर पर पहुंचाने का कारोबार कई गुना बढ़ा है।
डिब्बाबंद खाने के प्रमुख खंडों में बेकरी उत्पाद, कैन वाले सूखे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, फ्रोजन प्रसंस्कृत उत्पाद, रेडी टु ईट खाने, डेयरी उत्पाद, जलपान सामग्री, प्रसंस्कृत मांस, स्वास्थ्यर्धक उत्पाद एवं पेय शामिल है।