पिछले दिनों 8 बिरहोर परिवारों को गुफा में रहने की खबर पर प्रशासन सक्रिय हुआ था और यह बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी कि स्थानीय प्रशासन ने बिरहोरों के लिए क्या कुछ नहीं किया। दूसरी तरफ अब बिरहोरों ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि उनका पुराना बिरहोर रैन बसेरा जिसका उन्हें जीर्णोंद्घार करना था उसे गिराकर जनपद पंचायत ने बैंक के लिए भवन बना दिया। इसके लिए बिरहोर समाज के लोगों ने बकायदा वहां के प्रशासन और परियोजना प्रशासक के समक्ष विरोध भी दर्ज कराया था । मालूम हो कि इन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है, और प्रशासन इनके कल्याण के लिए हर साल लाखों खर्च करती है। नए प्रकरण के बाद बिरहोरों में स्थानीय प्रशासन के प्रति आक्रोश है कि जब सरकार उन्हें हर चीज मुहैया करवाने का दावा करती है तो आखिर उनका रैन बसेरा क्यों छीन लिया गया।
पंचायत ने सर्वसम्मति से लिया निर्णय
रैन बसेरा को गिराने और उसपर बैंक बनाने के लिए जनपद पंचायत के सामान्य सभा में प्रस्ताव लाया गया था और उसपर सहमति के बाद उसकी जगह बैंक भवन का निर्माण कराया गया था। हालांकि बिरहोर विशिष्ट श्रेणी के आदिवासी हैं और उनसे संबंधित इस तरह का कार्य बिना सरकारी आदेश के नहीं हो सकता, लेकिन स्थानीय पंचायत सदस्यों ने शासकीय निर्देशों को ताक पर रखकर यह काम कर दिया। अब इसके बचाव में यह कहा जा रहा है कि चूंकि इसका निर्माण जनपद पंचायत ने ही कि या था, इसलिए उसपर निर्णय वही ले सकती थी और उसने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है।
चनेशराम ने किया था उद्घाटन
रैन बसेरा भवन का उद्घाटन 1995 में तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री चनेश राम राठिया ने किया था। ऐसे में यह भवन इतना पुराना भी नहीं हुआ था कि यह जीर्ण-शीर्ण हो जाए। जब इस भवन को गिराने का काम हो रहा था उस समय स्थानीय बिरहोरों ने विरोध दर्ज कराया था। उस समय जनपद पंचायत ने यह कहा था कि हम इस भवन का जीर्णोंद्घार कर रहे हैं पर बाद में यह ज्ञात हो गया कि यह भवन स्टेट बैंक के लिए बनाया जा रहा है।
बिरहोरों को होती है परेशानी
इससे पहले इस भवन का बिरहोर बकायदा इस्तेमाल करते थे। रात में दूर से आने वाले, सामाजिक बैठक के लिए, रुककर सरकारी कार्यों के लिए इस भवन का प्रयोग बिरहोर किया करते थे। भवन के गिरा दिए जाने के बाद बिरहोर किसी तरह के सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियां नहीं कर पा रहे हैं।
इस भवन को गिराए जाने के विरोध में हमने परियोजना प्रशासक और जनपदपंचायत को लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन हमारी बात सुनने को कोई तैयार नहीं हुआ।
केंदा राम
बिरहोर नेता
बिरहोर भवन में हम लोग सामाजिक बैठकें किया करते थे, बाहर से कोई आता था तो रात में वहां रुकता था। इस भवन से हमारे समाज को लाभ मिल रहा था। यह तो खराब भी नहीं हुआ था फिर पता नहीं क्यों जनपद पंचायत ने उसे गिरा दिया।
सुखलाल
स्थानीय बिरहोर
हमारे लिए बड़े-बड़े काम करने का दावा सिर्फ अखबारों में हैं, हमारे लिए एक भवन बना था उसे भी गिरा दिया। कोई सुनवाई ही नहीं है, हमारी।
मंगल बिरहोर
स्टेट बैंक भवन का काम मेरे कार्यकाल से पहले हो रहा है, हमारे पास इसकी शिकायत आई है। मैं देख रहा हूं कि यह क्या मामला है और इसका निराकरण कैसे किया जा सकता है।
कीर्तिमान सिंह राठौर
सीईओ, जनपद पंचायत
इसकी शिकायत हमें मिली थी, हमने इनके वैकल्पिक भवन के लिए जनपद पंचायत को कहा है।
एनके दीक्षित
परियोजना प्रशासक