भुखमरी और इलाज के अभाव में मर रहे श्रमिक : परिजन

जलपाईगुड़ी: चाय श्रमिकों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. डंकन्स ग्रुप के तीन चाय बागानों में एक ही दिन में तीन श्रमिकों की मौत हो गयी. शुक्रवार को तड़के हांटुपाड़ा चाय बागान के श्रमिक लोटो खड़िया (68) की मौत हो गयी. इसी दिन सुबह बीरपाड़ा स्टेट जनरल अस्पताल में बीरपाड़ा चाय बागान के श्रमिक संचारी उरांव (48) की मौत हो गयी, तो शुक्रवार की सुबह माल अस्पताल में एक महिला चाय श्रमिक रेनु महली (50) ने भी दम तोड़ दिया. लोटे खड़िया को टीबी होने के बाद दो महीने पहले बीरपाड़ा स्टेट जनरल अस्पताल में भरती कराया गया था.

तब सात दिन अस्पताल में भरती रहने के बाद वह घर लौट आया था. शुक्रवार को तड़के में उसकी घर में ही मौत हो गयी. लोटे के परिवार ने आरोप लगाया है कि बागान की बदहाली की वजह से परिवार की माली हालत खराब है. यही कारण है कि जब लोटे ने दोबारा खुद को बीमार महसूस किया, तो उसका परिवार उसे अस्पताल ले जाने की स्थिति में नहीं था.

परिजनों का कहना है कि लोटे की मौत इलाज के अभाव में हुई. वहीं, बीरपाड़ा स्टेट जनरल अस्पताल में दम तोड़नेवाले श्रमिक संचारी उरांव भी टीबी से पीड़ित था. परिवार का आरोप है कि बीरपाड़ा चाय बागान पिछले कई महीनों से बदहाली की िस्थति है. बागान से वेतन और राशन नहीं मिल रहा है. कई दिनों से वह बीमार चल रहे थे. उन्हें बीरपाड़ा अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गयी. उधर, नागेश्वरी चाय बागान की दुकान लाइन की निवासी रेनु महली पिछले काफी समय से शरीर में खून की कमी से जूझ रही थीं. पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उसे इलाज के लिए मेटेली के मंगलबाड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भरती कराया गया था. मंगलवार को हालत बिगड़ने पर उसे यहां से माल महकमा अस्पताल स्थानांतरित कर दिया गया, जहां शुक्रवार की सुबह उसकी मौत हो गयी. परिवार का आरोप है कि पिछले काफी समय से वह बीमारी के कारण खून की कमी से पीड़ित थी. दूसरी तरफ जिला के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी प्रकाश मृधा ने बताया कि भूख की वजह से किसी श्रमिक की मौत नहीं हुई है. हर चाय बागान में नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच शिविर लगाये जा रहे हैं.

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