19 साल पहले हुए बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में जीत हासिल करने वाली जोधपुर की लड़की ने दिल दहला देने वाली आपबीती सुनाई है। उसका कहना है कि उसे उसकी शादी की जानकारी तक नहीं थी। इस बारे में उसे उसके दोस्तों ने बताया। पिछले मंगलवार को एक फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों की रजामंदी से शादी रद्द कर दी। जोधपुर से करीब 70 किलोमीटर दूर रोहिचयाकलां की रहने वाली सांता की जब शादी हुई तो उसकी उम्र केवल 11 महीने थी। उसके मां-बाप ने पड़ोस के गांव के नौ साल के लड़के के साथ उसकी शादी तय कर दी थी। यह बात 1996 की है। सांता के पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं। उन्होंने बेटी को बड़ी होने पर भी शादी के बारे में बताया तक नहीं था। जून 2011 की बात है। तब सांता 16 साल की थी और ग्यारहवीं में पढ़ती थी। एक दिन दोपहर में वह दोस्तों के साथ गप्पें मार रही थी। वे उसे यह कह कर चिढ़ाने लगीं कि तुम्हारी तो शादी तय ही है। सांता ने बताया, ‘हम शादी और आदर्श पति के बारे में बातें कर रही थीं। इसी दौरान मेरी कुछ दोस्तों ने कहा कि मुझे इन सबके बारे में सोचने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मेरी शादी पहले ही हो चुकी है।’ बकौल सांता, इसके बाद वह सीधे घर गई और अपनी मां से इस बारे में पूछा। सांता ने कहा, ‘मेरा दिमाग खराब हो गया था। मैं अपने मां-बाप से लड़ बैठी। पर उनका कहना था कि वे कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि यह फैसला उनके माता-पिता ने लिया था।’ सांता जब बारहवीं में पढ़ती थी, तब पहली बार एक शादी में सनवलरम (उसका कथित पति) से उसकी मुलाकात हुई। उसने उसे वहीं बता दिया कि वह इस ‘शादी’ को नहीं मानती और उसके साथ नहीं रहेगी। सांता का कहना है कि उसका बर्ताव भी ऐसा था कि वह उसके साथ नहीं रह सकती थी। सांता के मुताबिक, 28 साल का सनवलरम मजदूरी करता था और अक्सर शराब पीकर उसका पीछा करता था। वह कहा करता था, ‘तुम कहां जाओगी? तुम्हें अपने पति के पास आना पड़ेगा? वह मेरा नाम लेकर खुले आम चिल्लाता था और मुझे अपनी पत्नी बताता था। मैं काफी डरी रहती थी। लेकिन मेरी दोस्तों ने मुझे हिम्मत दी। एक बार तो वे उसे मारने के लिए भी तैयार हो चुकी थीं।’ इस साल अप्रैल में सांता ने घर छोड़ दिया और जोधपुर के एक कार्यकर्ता से मदद मांगी। गांव की पंचायत बैठी। पंचायत ने उसके मां-बाप को धमकाया और 16 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। सांता के मुताबिक उसके मां-बाप, भाई-बहन, सब उससे घर लौटने और ‘शादी’ को मान लेने की गुहार लगाने लगे। लेकिन, सांता ने घुटने नहीं टेके। सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से उसने पंचायत के कुछ सदस्यों को अपने पक्ष में करने में कामयाबी हासिल की। उसके कथित पति को यह कह कर समझाया गया कि अगर सांता तलाक की अर्जी दायर करती है तो गुजारा भत्ता मांगती है तो उसके लिए मुश्किल हो जाएगी। वह ‘शादी’खत्म करने पर राजी हो गया। सांता अभी भी अपने गांव नहीं जा पा रही है। वह जोधपुर में दादी के साथ रह रही है। उसका कहना है, ‘गांव में माहौल अभी बहुत खराब है। लोग मेरे और मम्मी-पापा के बारे में कुछ भी बोलते रहते हैं।’ सांता बीए फाइनल इयर में है। वह टीचर बनना चाहती है। उसे उम्मीद है कि सब ठीक हो जाएगा। वह शादी करना चाहती है, पर अभी नहीं।
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