ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म एचएसबीसी के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से महंगाई लगातार गिर रही है, लेकिन ग्रामीण और शहरी इलाकों को इसका बराबर फायदा नहीं मिल रहा है।रिपोर्ट के मुताबिक ट्रांसपोर्ट की अच्छी सुविधा, सीमित सप्लायर्स और प्रतिस्पर्द्घा न होने जैसी ढांचागत अड़चनों की वजह से शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीणों इलाकों में चीजों के ज्यादा दाम चुकाने पड़ रहे हैं।
खाने-पीने की चीजों, ईंधन की कीमत ज्यादागांव के लोगों को ईंधन और खाने-पीने की चीजों के ज्यादा दाम चुकाने पड़ रहे हैं। रिसर्च के मुताबिक बगैर तेल के आधारित ईंधन में यह महंगाई और ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सस्ते आयात का फायदा ग्रामीण इलाकों में नहीं पहुंच रहा है। ग्रामीण इलाकों में खाने-पीने की चीजों, परिवहन और कोर महंगाई के कारण ज्यादा महंगाई है। तेल के दाम में आई कमी का फायदा ग्रामीण इलाकों तक नहीं पहुंचा है। ऐसे इलाकों में लोग ईंधन के लिए लकड़ी, बायोगैस और दूसरे तरीके अपनाते हैं।
ये पूरी दुनिया में घट रही महंगाई का हिस्सा नहीं हैं। दूसरी तरफ शहरी इलाकों में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी (रसाई गैस) और डीजल के वैश्विक स्तर पर दाम कम होने का फायदा मिला। इसी तरह ग्रामीण इलाकों को आयात किए गए सस्ते तिलहन का भी फायदा नहीं मिला। इसकी का सबसे अहम कारण दोषपूर्ण वितरण प्रणाली है। समस्या का हलजानकारों के मुताबिक खुदरा कीमतों के हिसाब से महंगाई दर में 2014 से लगातार गिरावट आ रही है, लेकिन ग्रामीण और शहरी महंगाई में बढ़ते अंतर पर ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों के बुनियादी ढांचे में ज्यादा निवेश से ही इस समस्या से छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में भी बड़े सुधारों की जरूरत है।