गाँधी जयंती 2 अक्टूबर से कर्नाटक के यादगीर से योगेन्द्र यादव के नेतृत्त्व में जय किसान आन्दोलन की संवेदना यात्रा प्रारंभ हो रही है। यह यात्रा इस समय देश में पड़ रहे भीषण सूखे की तरफ देश का ध्यान आकृष्ट करने के लिए किया जा रहा है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़ अब तक पुरे देश में सामान्य से चौदह फीसद कम बारिश हुई है। देश के 295 जिलों में बारिश का स्तर गंभीर रूप से कम रहा है। इन जिलों में देश की कुल भूभाग का 39 फीसद हिस्सा आता है। पिछले 100 वर्षों में यह तीसरी बार हो रहा है जब लगातार 2 साल सूखा पड़ रहा है, जो खेती और किसानो के लिए काल साबित हो रहा है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान की मानें तो यही स्थिति अप्रैल 2016 तक जारी रहने की आशंका है। इसका मतलब है कि सूखे की यह स्थिति मौजूदा खरीफ की फसल के साथ रबी की आने वाली फसल पर भी असर डालेगी। सूखे के रूप में देश एक राष्ट्रीय आपदा की तरफ बढ़ रहा है और दुर्भाग्यवश देश इस से अनभिज्ञ है। हज़ारों किसानो की जान जा चुकी है, पर देश की सरकारे (केंद्र और राज्य) खानापूर्ति में लगी है। इस मुद्दे पर हमारी अनिभिज्ञता का आलम यह है कि संकट का एक केंद्र उत्तर प्रदेश है, जिसके बारे में कोई चर्चा ही नहीं है । हम व्यवस्था से समझौतावादी और संवेदनहीन समाज बनने की तरफ तेजी से बढ रहे है।2 अक्टूबर से प्रारंभ यह "संवेदना यात्रा" उत्तरी कर्नाटक से शुरू होकर तेलंगाना, मराठवाड़ा, बुंदेलखंड और उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त इलाकों से होते हुए 15 अक्टूबर को दक्षिण हरियाणा में खत्म होगी। यह यात्रा एक पखवाड़े में 7 राज्यों के 25 जिलों से होती हुई लगभग 3500 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इस यात्रा में हम देश के सर्वाधिक सूखाग्रस्त जिलों के कुछ गांवों में जाकर प्रभावित परिवारों से मिलकर उनकी समस्यों को समझकर उसे प्रभावी ढंग से राष्ट्रीय पटल पर रखना ही हमारा लक्ष्य होगा। यात्रा के दौरान हम सूखे से निपटने के कुछ वैकल्पिक प्रयोगों को समझने की कोशिश भी करेंगे। जय किसान आन्दोलन इस यात्रा के माध्यम से देश के किसानो व कृषि की स्थिति का सही चित्र देश के सम्मुख रखना चाहता है। हमारे समाज की सो रही संवेदनाओं को कुरेद कर उन्हें पुन: जीवित करना तथा इस समस्या का समाधान ढूढ़ना ही "संवेदना यात्रा" का मुख्य उद्देश्य है। योगेंद्र यादव और जय किसान आंदोलन के साथियों के अलावा इस यात्रा में समाज के अनेक विधाओ के बुद्धिजीवी और प्रमुख व्यक्ति सहयात्री होंगे, ताकि हम किसानो के दर्द को समाज के हर अंग में उनके पहलु से पंहुचा सके और गहन विमर्श का विषय बना सकें।जय किसान आन्दोलन सूखे को अकाल नहीं बनने देंगा। इस आपदा में किसान अकेला ना पड़ जाये इसलिए देश की संवेदनाओं को खुद ने आत्मसार किए यह संवेदना यात्रा एक बेहतर भविष्य व खुशहाल राष्ट्र के निर्माण के लिए कल से अपनी यात्रा का प्रारंभ करेगा। – See more at:
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