लखनऊ। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले की जांच शुरू करने के चार साल बाद सीबीआई ने अचानक पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की घेरेबंदी शुरू कर दिग्गजों के होश उड़ा दिए हैं। सीबीआई के रडार पर रह चुके कई पूर्व मंत्री, अफसर और ठेकेदार सकते में हैं। अगर इस जांच की दिशा मायावती की ओर गई तो यह तय है कि दायरे में पूर्व मंत्री, विधायक और कई अफसर भी फंसेंगे।
एनआरएचएम घोटाले की जांच कर रही सीबीआई टीम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को फोन कर मायावती से पूछताछ के लिए कहा था। सीबीआई सूत्रों का कहना है कि घोटाले के उच्च स्तरीय षड्यंत्र में उनकी भूमिका सामने आने के बाद यह पहल की गई। हालांकि सीबीआई की इस सक्रियता के सियासी निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं।
अब इसके पीछे वजह जो भी हो, लेकिन जांच में आई तेजी से हड़कंप मच गया है। इस मामले में सीबीआई पूर्व परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्र से पहले कई बार पूछताछ कर चुकी है लेकिन उनके ऊपर कोई आरोप साबित नहीं कर सकी। अब जब मायावती पर शिकंजा कसेगा तो मिश्र से भी फिर से पूछताछ होनी तय है।
एनआरएचएम की जांच अवधि में सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक करीब पांच हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई लेकिन एनआरएचएम के अलग-अलग कार्यों की जांच कर रही सीबीआई ने यह पाया कि कई माननीयों ने भी बहती गंगा में हाथ धोये और अपने चहेतों को उपकृत किया। बहुत से लोगों ने घोटाले में हिस्सेदारी निभाई।
हद तो यह हो गई कि एनआरएचएम में 1085 करोड़ रुपए का भुगतान बिना किसी का हस्ताक्षर कराए ही कर दिया गया और बिना करार के ही 1170 करोड़ रुपए का ठेका अपने चंद चहेते लोगों को दिया गया। इस घोटाले में पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार शुक्ला, पूर्व विधायक आरपी जायसवाल, कई पीसीएस अधिकारी और चिकित्साधिकारी जेल गए लेकिन बहुत से प्रभावी लोगों ने अपने बचाव का रास्ता ढूंढ़ लिया। मायावती पर अगर आंच आई तो ऐसे चिन्हित लोगों के सामने भी कम मुश्किलें नहीं होंगी।