टी सूर्या राव, भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र के नंदिनी माइंस में आईबीएम मशीन में खराबी आई तो बाहर से इंजीनियर को बुलाया गया। इंजीनियर ने मशीन सुधारने का खर्च लगभग 30 लाख रुपया बताया लेकिन माइंस के श्रमिकों ने अपनी मेहनत और सूझबूझ का परिचय देते हुए जुगाड़ से मशीन सुधार दी। श्रमिकों ने अपनी मेहनत और सूझबूझ से ऐसा कमाल किया कि मशीन सुधारने में एक भी रुपए खर्च नहीं हुए और संयंत्र के 30 लाख रुपए बच गए।
नंदिनी माइंस में आईबीएम मशीन खराब हो गई थी। इसे बनाने के लिए माइंस प्रबंधन ने प्राइवेट इंजीनियर को बुलाया था। जिसने मशीन की जांच के बाद उसके एयर एंड असेंबली सीज होने की बात बतायी। इंजीनियर ने बताया कि मशीन का एयर टेंक भी खराब हो गया है। उन्होंने ऑइल कूलर, कंप्रेशर, होज पाइप बदलने की भी सलाह दी और इसके लिए 30 लाख रुपए का खर्च बताया।
इस तरह श्रमिकों ने सुधारी मशीन
नंदिनी माइंस के वरिष्ठ प्रबंधक ओमन केपी, श्रमिक संजय कुमार, प्रदीप सोम, एके परगनिहा, सुरेंद्र राव और भीम ने इसी तरह की एक दूसरी मशीन जो दल्लीराजहरा माइंस में सर्वे ऑफ हो गई थी, उसकी पड़ताल की। वहां जाकर उक्त मशीन से सारे जरूरी सामान ले आए। राजहरा से लाए गए इन्हीं सामानों से नंदिनी माइंस की आईबीएम मशीन सुधार कर उसे चालू कर दिया गया।
मशीन से ड्रिलिंग करते हैं
नंदिनी माइंस के श्रमिकों द्वारा मरम्मत कर बनाई गई मशीन से खदानों में ड्रिलिंग की जाती है। इसके बाद उसमें बारूद भरा जाता है फिर ब्लास्ट कर खदानों से अयस्क निकाला जाता है।
विश्वकर्मा पुरस्कार की मांग
एसकेएमएस के अध्यक्ष आर श्रीधर ने नंदिनी के श्रमिकों द्वारा 30 दिनों के अंदर आईबीएम-8 मशीन को बनाने और 30 लाख रुपए बचाने वाले सभी श्रमिकों को विश्वकर्मा पुरस्कार देने की मांग की है।
श्रमिकों ने किया कमाल
‘नंदिनी माइंस के श्रमिकों ने अपना समय व श्रम देकर पूरे लगन के साथ बिगड़ी मशीन बना दी। अब इस मशीन का उपयोग हम कर सकेंगे।’
-वीरेंद्र सिंह, माइंस मैनेजर, नंदिनी