किसानों को सता रही सूखे की चिंता

नुआपाड़ा (निप्र)। ओडिशा के नुआपाड़ा जिले में कम बारिश होने के कारण किसानों को इस वर्ष अकाल की चिंता सता रही है। बारिश नहीं होने के कारण आधे से अधिक कृषि भूमि में फसल नष्ट होने के कगार पर है, जिसके कारण किसान वर्ग चिंतित नजर आ रहे हैं। नुआपाड़ा में जुलाई माह में 17 प्रतिशत कम बारिश होना रिकार्ड किया गया है। वहीं इस वर्ष जिला में 54 प्रतिशत धान बुवाई का कार्य संपन्न हो गया है। जबकि 42 प्रतिशत रोपाई का कार्य हो जाने का रिकार्ड सरकारी आंकड़ों में दर्ज किया जा चुका है। पूरे नुआपाड़ा जिले में आधे से अधिक कृषि भूमि में खेती कार्य नहीं होने के कारण इस वर्ष सूखा होने की आशंका बनी हुई है। ऐसे में किसानों के माथे में चिंता की लकीरें दिखाई दे रही है।

नुआपाड़ा जिले में कुल 1 लाख 89 हजार हेक्टेयर कृषि उपयोग भूमि है, जिसमें वर्ष 2015 खरीफ सीजन में 82 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में धान की फसल एवं एक लाख 7 हजार हेक्टेयर भूमि में मक्का, चना, कपास आदि अन्य फसल की बोवाई की गई है। जानकारी के अनुसार जिले के कोमना ब्लॉक में अधिक सूखा की स्थित है। कोमना ब्लॉक में 47957 हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिसमें से 23640 हेक्टेयर भूमि में धान एवं 24317 हेक्टेयर भूमि में अन्य फसल ली जा रही है। इस वर्ष मानसून की बारिश होते ही किसानों ने धान बोनी शुरू कर दिए थे, लेकिन जिले में कहीं अधिक तो कहीं कम बारिश होने के कारण अधिकांश अंचल में रोपाई व बुवाई का कार्य नहीं हो सका है।

कम बारिश से सूखे की आशंका

इस वर्ष जिले में हुई बारिश के सरकारी रिकार्ड के आंकड़े परे नजर डाले तो जून माह में नुआपाड़ा ब्लॉक में 273.4 मिमी बारिश हुई है। जबकि कोमना ब्लॉक अंचल में 448, खरियार में 368.6, बोडेन ब्लॉक में 203 एवं सिनापाली ब्लॉक में 192 मिमी बारिश रिकार्ड किया गया है। इसी प्रकार से जुलाई माह में नुआपाड़ा ब्लॉक में 198.6 मिमी वर्षा हुई है। जबकि कोमना ब्लॉक में 401, खरियार ब्लॉक में 481, बोडेन ब्लॉक में 171 एवं सिनापाली ब्लॉक में 140 मिमी बारिश रिकार्ड किया गया है। पूरे नुआपाड़ा जिले में जून माह में कुल 1485 एवं जुलाई माह में 1391.6 मिमी बारिश होना रिकार्ड किया गया है। कोमना ब्लॉक में गत जून माह में 11 दिन एवं जुलाई माह में 12 दिन बारिश होना दर्ज किया गया है। फलस्वरूप इसी परिस्थिति में जिला के कोमना, बोडेन एवं सिनापाली ब्लॉक में सूखा की आशंका व्यक्त की जा रही है।

धान के पौधे सूखकर मरने के कगार पर

कोमना ब्लॉक में गैर जल सिंचाई अंचल सोनाबेड़ा अभयारण्य के सोनाबेड़ा एवं सोसेंग ग्राम पंचायत सहित भेला, झगराही, रजना, अग्रेन, मिच्छापाली, सियालाटी, दर्लीपाड़ा, कुरूमपुरी में सूखा देखा जा रहा है। इन सभी अंचलों में किसानों ने जो पहली बारिश में धान बोये थे। उसमें पौधे अंकुरित हो गए थे, लेकिन अब वर्षा जल के अभाव के कारण पौधे सूखकर मरने के कगार पर है। अनेक स्थानों पर तो फसल लगभग नष्ट हो गई है। रोपाई का कार्य भी नहीं हो सका है।केवल धान ही नहीं कपास, मक्का, दाल आदि फसलों की स्थिति भी इसी तरह से है। ऐसी परिस्थिति में किसान वर्ग प्रशासन व सरकार से शीघ्र ही नष्ट फसलों का आकलन कर किसानों को क्षतिपूर्ति सहायता राशि देने के साथ ही राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना की अंतिम तारीख को बढ़ाने की मांग की जा रही है।

सूखे की स्थिति से निपटने तैयारी शुरू

इस संबंध में जिला कृषि उप निदेशक अंतरयामी मंडल ने बताया कि इस वर्ष सूखा की स्थिति है। चलित वर्ष के जुलाई माह में 17 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इस वर्ष जिला में 54 प्रतिशत बुवाई एवं 42 प्रतिशत रोपाई का कार्य ही शेष हो सका है। जबकि गत वर्ष यह आंकड़ा क्रमशः शत-प्रतिशत एवं 90 प्रतिशत था। जिला कृषि उप निदेशक अंतरयामी मंडल ने बताया कि नुआपाड़ा जिले में सूखे की स्थिति को लेकर विभागीय स्तर पर सर्वे का कार्य शुरू हो चुका है। शीघ्र ही सूखे का आंकड़े ज्ञात कर लिया जाएगा। सूखा से निपटने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत किसानों को सब्सिडी दर में डीजल पंप उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है।

 

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