एक रुपए खर्च नहीं और खुले में शौच से मुक्त हो गए 69 गांव

हरदा (मध्‍यप्रदेश)। ऑपरेशन मलयुद्घ (खुले में शौच से मुक्ति) से हरदा जिले की 39 पंचायतों के 69 गांव खुले में शौच के कलंक से मुक्त हो गए। अब अगले छह माह में पूरे जिले की 213 पंचायतों को भी इस कलंक से मुक्ति दिलाने के लिए अभियान छेड़ा जाएगा। इसे सफल बनाने के लिए न तो एक रुपए का अलग से बजट खर्च किया गया और न ही श्रेय लूटने की होड़ मची बल्कि गांव के सरपंच-सचिव और वहां की जनता को जिम्मेदारी का अहसास करवाकर सफलता हासिल की।

रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी रेडियो पर मन की बात में इस अभियान की सफलता पर ऑपरेशन मलयुद्घ और जिले के अफसरों की तारीफ की, लेकिन इस अभियान के असल हीरो जिपं सीईओ गणेशशंकर मिश्रा व कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव ही नहीं हैं। इसके लिए गांव के सरपंच-सचिव और जनता की पहल का बड़ा योगदान है। मालूम हो कि मई 2014 में इस अभियान की शुरूआत हुई थी।

यह हैं असल हीरो, इन्होंने ही की सबसे पहले शुरूआतः

1- पहले चिंता थी लेकिन ग्रामीणों ने रूचि ने दी हिम्मत और मिल गई सफलताः

जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ और वर्तमान एडीएम गणेशशंकर मिश्रा। मार्च 2014 में सरपंचों की एक कार्यशाला बुलाई गई। इसमें सरपंचों ने सीईओ के सामने खुले में शौच की समस्या का जिक्र किया। सरपंचों ने कहा कि देशभर में स्वच्छता पर बात हो रही है तो क्यों न हमारे यहां से ही इसकी शुरूआत की जाए। सीईओ ने बताया कि तब ही तय कर लिया कि इसे अभियान के रूप में चलाएंगे।

ऑपरेशन मलयुद्ध शुरू करने का प्लान बनाया। चुनौती थी कि इसे सफलता कैसे मिलेगी क्योंकि जब दस साल से चल रहे स्वच्छता अभियान से कोई खास बदलाव नहीं आया तो यह कैसे सफल हो पाएगा। लेकिन जब गांव के लोगों से बात की तो हिम्मत बंधी। गांव के लोगों ने रूचि दिखाई और अब 69 गांव पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त हो गए।

2- शौचालय बनवाने के लिए पति से लड़ो

पांच सौ की आबादी वाली कुकरावद ग्राम पंचायत में दस शौचालय भी नहीं थे। गांव में 70 घर के लोग खुले में शौच जाते थे। लेकिन छह माह पहले महिला सरपंच सुनीता पाटिल ने गांव को शौच मुक्त कराने की ठान ली। पहले तो घर-घर जाकर महिलाओं से बात की। उनसे कहा कि तय करो कि कोई भी खुले में शौच नहीं जाएगा। घर में शौचालय बनवाने के लिए पति से लड़ो। सरपंच की पहल पर शुरूआत में कई बार विवाद की स्थिति भी बनी लेकिन लोग समझ गए कि वह हमारी बहन-माताओं की इज्जत के लिए ही कर रही हैं।

 

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