इसके लिए केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद घर-घर जाकर सत्यापन न किए जाने को जिम्मेदार ठहाराया गया है। कैग के मुताबिक 2011 की जनगणना में बताए परिवारों की तुलना में बीपीएल और एएवाय (अंत्योदय अन्न् योजना) के 6.64 लाख अतिरिक्त राशनकार्ड चल रहे थे।
खंडवा, सतना और सीधी जिले में राशनकार्ड का जनगणना के आंकड़ों से मिलान किया गया, तो बड़ा अंतर सामने आया। इस पर कैग ने कहा कि राज्य में फर्जी राशनकार्ड के अस्तित्व से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, विभाग का पक्ष रखने के दौरान प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति ने बताया कि फर्जी राशनकार्ड को रद्द करने के लिए पर्याप्त प्रयास किए गए और ये एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है।
1.78 करोड़ का नुकसान: लीड समितियों को कम दरों पर गेहूं की बिक्री से 1.78 करोड़ का नुकसान होने की बात भी सामने आई है। राज्य सरकार ने अगस्त 2010 में लीड व उपभोक्ताओं के लिए शहरी क्षेत्र में 930 रुपए क्विंटल और ग्रामीण क्षेत्रों के 921 रुपए प्रति क्विंटल बिक्री दर तय की थी। अक्टूबर 2010 में दरों को संशोधित किया गया और यह साफ किया कि संशोधन दरों की जगह यदि गेहूं पुरानी दरों पर वितरित कर दिया हो तो दरों का अंतर संबंधित लीड समितियों से वसूल किया जाएगा। जांच में पाया गया कि बड़वानी, भोपाल, धार, इंदौर, कटनी, खंडवा, खरगौन, रायसेन, रतलाम, रीवा, सतना, शहडोल, सीधी और उज्जैन में 87 हजार 902 टन आवंटन के खिलाफ 51 हजार 479 टन गेहूं पुरानी दरों पर लीड समितियों को बिक्री के लिए दिया। इससे 1.78 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
करोड़ों का खाद्यान्न् नहीं बंटा : 31 मार्च 2014 की स्थिति में बड़वानी, भोपाल, धार, इंदौर, कटनी, खंडवा, खरगौन, रतलाम और उज्जैन की उचित मूल्य दुकानों पर 3 हजार 693 किलोलीटर केरोसिन, 20 हजार 971 टन खाद्यान्न्, शकर और नमक बंटा ही नहीं है। इसका मूल्य करीब साढ़े दस करोड़ रुपए होता है।