छत्तीसगढ़ के तीन लाख परिवार पीडीएस से बाहर

जिया कुरैशी/रायपुर। छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से राज्य के तीन लाख परिवार बाहर हो गए हैं। ये सभी परिवार सामान्य श्रेणी यानी एपीएल कोटे के हैं। अप्रैल से इन्हें राशन देना बंद किया गया था, केवल केरोसिन की पात्रता ही रह गई थी। अब सरकार ने जुलाई से इनके केरोसिन की पात्रता भी खत्म कर दी है।

फैक्ट फाइल

राशन कार्ड धारियों की संख्या-63 लाख

राशन के पात्र बचे -60 लाख

कटौती की कैंची- 35 किलो चावल की जगह प्रति यूनिट 7 किलो चावल

पीली मटर दाल का वितरण भी है बंद

इस महीने से तीन लाख परिवारों का केरोसिन भी बंद करने का आदेश जारी

राज्य सरकार के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय ने इसी माह के शुरू में सामान्य राशन कार्डधारियों की केरोसिन की पात्रता समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश से सामान्य राशन कार्ड धारी तीन लाख परिवार सीधे प्रभावित हो रहे हैं। इन परिवारों के बीच 600 किलोलीटर यानि छह लाख लीटर केरोसिन सस्ती दरों पर मिलता था।

पीडीएस सिस्टम में अब लाभार्थी बचे 60 लाख

सामान्य राशन कार्ड धारियों को राज्य सरकार ने तीन माह पहले यानी अप्रैल से पीडीएस सिस्टम के जरिए मिलने वाला राशन देना बंद कर दिया था। इस कटौती से पहले राज्य में पीडीएस के लाभार्थियों की संख्या 63 लाख थी, अब केरोसिन बंद किए जाने के बाद सामान्य राशन कार्ड धारियों के पास केवल राशन कार्ड बच गया है, और पीडीएस सिस्टम में तीन लाख परिवारों की संख्य घटने के बाद पीडीएस के लाभार्थियों की संख्या राज्य में 60 लाख रह गई है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जो तीन लाख लोग पीडीएस से बाहर हुए हैं उनके पास राशन कार्ड रहेंगे, उन्हें निरस्त नहीं किया जा रहा है। इन राशन कार्डों का इस्तेमाल वे प्रमाण के रूप में कर सकते हैं।

कटौती की कैंची

इससे पहले राज्य सरकार ने जब पीडीएस में कटौती की शुरुआत की तो प्रति परिवार 35 किलो चावल की जगह प्रति यूनिट 7 किलो चावल दिया जा रहा है। गैर अनुसूचित क्षेत्र में रहने वाले लोगों को पीली मटर दाल देना भी बंद किया जा चुका है। इस तरह की कटौती से सरकार को हर माह करोड़ों रुपए की सब्सिडी की बचत होगी।

पात्रता समाप्त की गई-खाद्य संचालक

खाद्य विभाग के संचालक डॉ.कमलप्रीत सिंह ने कहा है कि तीन लाख सामान्य राशन कार्डधारियों को केरोसिन की पात्रता समाप्त करने का आदेश जारी किया जा चुका है। जिन्हें केरोसिन देना बंद किया गया है उनके बारे में सरकार का मानना है कि वे सम्पन्ना और सक्षम श्रेणी के परिवार हैं। इन्हें राशन देना पहले ही बंद किया जा चुका है।

कानून बनाकर पीछे हटना दुर्भाग्यपूर्ण

भोजन के अधिकार से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता समीर गर्ग के अनुसार- छत्तीसगढ़ सरकार ने 2012 में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण का कानून बनाया था, इसके तहत पहले चावल में कटौती की गई, फिर दाल को हटाया अब केरोसिन बंद कर रहे हैं। खुदकानून बनाकर उसके पालन से पीछे हटना इस सरकार का दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है। जरूरत इस बात की है कि पीडीएस का सर्वव्यापीकरण होना चाहिए था, यानी सभी जरूरतमंद लोगों को सभी चीजें मिलनी चाहिए थी, पर ऐसा नहीं हो रहा है।

 

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