राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी के नामचीन स्कूलों में शुमार संस्कृति स्कूल (चाणक्यपुरी), मैटर डाई स्कूल (तिलक लेन), स्प्रिंगडेल्स पब्लिक स्कूल (पूसा रोड), डीपीएस (रोहिणी, वसंत कुंज व द्वारका) सहित राजधानी के 55 पब्लिक स्कूलों को अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों से अनुचित फीस वसूली का दोषी पाया गया है। ये खुलासा छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर निजी स्कूलों में की गई गैर जरूरी फीस बढ़ोतरी की हाई कोर्ट द्वारा गठित जस्टिस (सेवानिवृत्त) अनिल देव सिंह कमेटी की रिपोर्ट में हुआ है। समिति ने जांच के अंतर्गत आठवीं अंतरिम रिपोर्ट न्यायालय को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि समिति ने 95 स्कूलों की जांच में पाया कि 55 स्कूलों ने अनुचित फीस की वसूली अभिभावकों से की है। इसके अलावा 26 स्कूल ऐसे थे, जिनकी फीस बढ़ोतरी सही पाई गई। वहीं तीन स्कूलों की ओर से पेश दस्तावेजों में कमेटी को गड़बड़ी का अंदेशा हुआ तो पड़ताल के लिए इनका औचक निरीक्षण किया गया। इसके बाद इन स्कूलों में अनुचित विकास शुल्क वसूली की बात सामने आई है। समिति ने सिफारिश की है कि ये स्कूल अनुचित वसूले गए विकास शुल्क को लौटाए। इस जांच में 11 ऐसे थे, जिनमें से कुछ के दस्तावेज सहीं नहीं थे। वहीं कुछ ने इन्हें पेश ही नहीं किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में अदालत से सिफारिश की है कि अनुचित फीस वसूली के दोषी सभी स्कूलों को 9 फीसद ब्याज के साथ अनुचित रूप से वसूली की राशि लौटाने को कहा जाए। न्यायालय की ओर से गठित ये समिति अभी तक 990 स्कूलों के खातों की जांच कर चुकी है और इसमें से 508 स्कूलों के खिलाफ अनुचित रूप से वसूली गई राशि ब्याज से साथ लौटाने की सिफारिश की है।
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