केंद्र सरकार ने एक बार फिर से कोलेजियम सिस्टम को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इस सिस्टम ने महिलाओं के साथ अनदेखी की। सरकार ने कहा कि कोलेजियम द्वारा बहुत कम संख्या में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में महिला जजों की नियुक्ति हुई। सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के जरिए उच्चतर अदालतों में महिला जजों की नियुक्ति भी पर्याप्त संख्या में होगी।
अब तक जो नहीं हुआ है एनजेएसी के जरिए यह संभव होगा। न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उच्चतर न्यायपालिका में महिला जजों की संख्या कम होना महिलाओं के प्रति संवेदनहीनता दर्शाता है। एनजेएसी के जरिए बड़ी संख्या में महिला जजों की नियुक्ति होगी।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ एक महिला जज है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कमोवेश एक या दो ही महिला जज ही होती हैं। उच्चतर अदालतों में पुरुष जजों का वर्चस्व या बोलबाला है। रोहतगी ने कहा कि ऐसा नहीं महिलाओं में योग्यता नहीं है, वास्तव में बात महिलाओं के प्रति संवेदनहीनता की है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि छह सदस्यीय एनजेएसी के लिए दो नामचीन हस्तियों में से एक महिला या सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग से होगा। यहीं कारण हैकि संसद ने कानून बनाकर एक ऐसा आयोग बनाया है जो न सिर्फ पारदर्शी होगा बल्कि उसका आयाम भी बड़ा होगा। एनजेएसी में भारत केप्रधान न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम जज, कानून मंत्री और दो नामचीन हस्तियां होंगी। उन्होंने कहा कि महिला जजों की नियुक्ति में सामाजिक पूर्वाग्रह और पक्षपात की कोई जगह नहीं होगी।
महिलाएं कम बहस करती या उन्हें समकक्ष पुरुष वकील के मुकाबले कम पैसे मिलते हैं, यह कोई पैमाना नहीं रहेगा। रोहतगी ने कहा कि महिलाओं को आगे करने की जरूरत है। हम यह समझने की जरूरत है कि महिलाओं के भी अरमान होते हैं लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इस पर पीठ ने अटॉर्नी जनरल से सवाल किया कि एनजेएसी कैसे सुनिश्चित करेगा कि जजों की नियुक्ति में महिलाओं, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को भी शामिल किया जाएगा। आप यह क्यों नहीं बता रहे हैं कि महिलाओं, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों की संख्या कितनी होगी।
रोहतगी ने यह भी कहा कि देश में आधी आबादी महिलाओं की है बावजूद इसके महिला जजों की नियुक्ति कम होती है। इस पर अदालत ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि क्या सरकार केलॉ ऑफिसर में 50 फीसदी महिलाएं हैं। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उनके ऑफिस में पुरुष से अधिक महिलाएं हैं।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि एनजेएसी पूरी तरह पारदर्शी होगा और यह सूचना के अधिकार के दायरे में होगा। इस पर पीठ ने कहा कि ऐसे में वह स्थिति खतरनाक होगी जब निष्टा पर संदेह जताते हुए किसी आवेदक का आवेदन रद्द कर दिया जाएगा। यह जानकारी सार्वजनिक होने से आवेदक वकील को नुकसान होगा। इस पर रोहतगी ने कहा कि हर चीज में कुछ अच्छाई होती है और कुछ खामियां।