भूमि बिल पर फिर आएगा अध्यादेश

केंद्र सरकार विवादास्पद भूमि अधिग्रहण पर तीसरी बार अध्यादेश ला सकती है। राज्यसभा में अल्पमत के चलते इससे जुड़े बिल को संसद की मंजूरी दिलाने में नाकाम सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को इस मुद्दे पर बैठक की। इसमें भू-अधिग्रहण अध्यादेश को फिर से लागू किए जाने की मंजूरी दी गई।

विधेयक संसद की संयुक्त सचिव के पास विचाराधीन: मौजूदा अध्यादेश की अवधि 3 जून को खत्म हो रही है, जबकि इस बारे में विधेयक संसद की संयुक्त समिति के पास विचाराधीन है। इस बीच हुए मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दी। उन्होंने कहा, भूमि अधिग्रहण कानून की निरंतरता बनाए रखने और जिनकी भूमि अधिग्रहीत होती है, उन्हें मुआवजा देने के लिए खाका तैयार करने को यह करना जरूरी है।

सरकार की प्रतिबद्धता दिखाता है: उन्होंने कहा, फिर अध्यादेश जारी करना जरूरी है क्योंकि 2013 के भू-अधिग्रहण कानून में 13 केंद्रीय अधिनियम शामिल किए गए हैं। ऐसा इसलिए ताकि कुछ खास परियोजनाओं के लिए जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की जाती है, उन्हें मुआवजा देना सुनिश्चित किया जा सके। यह किसानों के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

दिसंबर में आया था पहला अध्यादेश: केंद्र की सिफारिश को अब मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। अध्यादेश पहली बार दिसंबर-2014 में लाया गया था ताकि 2013 के भूमि कानून में संशोधन किया जा सके। दूसरी बार गत मार्च में लागू किया गया, जिसकी समय सीमा 3 जून को खत्म हो रही है।

भूमि अधिग्र्रहण विधेयक मेरे लिए जीवन या मरण का विषय नहीं है। मैं इस बारे में कोई भी सुझाव स्वीकार करने को तैयार हूं।
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

मोदी जी गरीब किसानों से किसी भी कीमत पर जमीन हथियाने के लिए गजब की जल्दी में हैं। तीसरी बार किसान विरोधी भूमि अध्यादेश पर जोर दिया जा रहा है।
– राहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष

कांग्रेस किसी भी तरह के संशोधन के खिलाफ
कांग्रेस 2013 के कानून में किसी तरह का संशोधन करने के खिलाफ है। उसका कहना है कि जो संशोधन सरकार लाई है वे किसी भी तरह से किसानों के खिलाफ नहीं है बल्कि उनके ज्यादा हित में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *