चंचाल पहाड़ का अस्तित्व खतरे में

कोडरमा : अभ्रक व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध कोडरमा जिले की धरती अब खोखली होती जा रही है. यहां के पहाड़ खत्म होते जा रहे हैं. इससे आम लोगों की जिंदगी भी खतरे में पड़ गयी है. पत्थर माफियाओं ने पहाड़ों पर अवैध रूप से कब्जा जमा लिया है.
नियमों व नीतियों को ताक पर रख कर पूरे जिले में स्टोन चिप्स वाले पत्थर का उत्खनन हो रहा है, वहीं सैकड़ों क्रशर धड़ल्ले से चल रहे हैं. जिले के डोमचांच, मरकच्चो व चंदवारा में करीब 600 क्रशर संचालित हो रहे हैं और 150 से ऊपर खदान हैं, जहां से पत्थरों का उत्खनन हो रहा है. 
अवैध खनन के कारण डोमचांच के मसनोडीह, ढाब, पडरिया, उदालो व सिरसिरवा जंगल में स्थित लगभग आठ छोटी पहाड़ियां खत्म हो गयी हैं. डोमचांच स्थित चंचाल पहाड़ का अस्तित्व खतरे में है. पूरा इलाका 10 किमी जंगली क्षेत्र था, पर अब यहां की धरती खोखली हो गयी है. 
दर्जनों खदानों में यहां प्रतिदिन ब्लास्टिंग कर पत्थर निकाला जा रहा है. पहाड़ को खत्म कर जमीन के नीचे भी 300 फीट तक गहरा कर पत्थरों का खनन हो रहा है. डोमचांच से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंचाल पहाड़ का अस्तित्व भी लगभग खत्म हो गया है.
चंचाल पहाड़ की ऊंचाई 100 फीट के करीब थी, पर अब एक कोने में सिमटा पहाड़ मुश्किल से 10 फीट ऊंचा होगा.
गिरिडीह रोड में स्थित बबनी (पंचमुखी मारुति) पहाड़ की स्थिति भी ठीक नहीं है. अवैध पत्थर खनन का कार्य करने वाले लोगों की हिम्मत देखिए, जिले मेंवन आश्रयणी क्षेत्र है सिरसिरवा जंगल. यहां छोटी पहाड़ी खत्म कर जमीन के अंदर पत्थर उत्खनन का कार्य हो रहा है. बिना लीज व लाइसेंस के यहां 15-20 खदानें संचालित हैं.
– पहाड़ को खत्म कर धरती को 200 से 300 फीट गहरा किया जा चुका है
– जिले में कई छोटी पहाड़ियां खत्म, चंचाल पहाड़ का अस्तित्व भी खतरे में
– डोमचांच, मरकच्चो व चंदवारा में 600 क्रशर संचालित
– 150 से ऊपर खदान हैं, जहां से पत्थरों का हो रहा अवैध उत्खनन
– डोमचांच के दर्जनों खदानों में प्रतिदिन ब्लास्टिंग कर निकाला जा रहा है पत्थर

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