20 साल में तीन लाख से ज्यादा अन्नदाता ने दी जान

नई दिल्ली। देश में कृषि क्षेत्र की भयावह दुर्दशा की बानगी बीते 20 वर्षों (1995 से 2015 तक) में 3.30 लाख से ज्यादा किसानों की आत्महत्या से मिलती है। सर्वाधिक आत्महत्या 12 राज्यों में हुई हैं, इनमें 60 हजार के आंकड़े के साथ महाराष्ट्र सबसे आगे है।

अरबों रुपए के कृषि बजट व लंबी व बड़ी योजनाओं के बावजूद मौसम की मार से आहत किसान हर साल हजारों की संख्या में जिंदगी से हार मान लेते हैं।18 साल में 2.96 लाख किसानों ने जान दी-1995 से 2013 तक 2 लाख, 96 हजार 438 किसानों ने आत्महत्या की।

1. 2013 में 11,744 ने जान दी, 2012 में 13,754 ने तथा 2011 में 14,027 किसानों ने जान दी।

2. 1995 से 2000 तक हर साल 14, हजार 662 किसानों ने आत्महत्या की।

3. 2001 से 2011 के 11 सालों में हर साल 16,743 किसानों ने जान दी।

4. इन 11 सालों में औसत 46 किसानों ने रोजाना जान दी। यानी हर आधे घंटे में एक किसान ने जान दी।

5. 2014 में 1109 किसानों ने आत्महत्या की।

मप्र में 25 मौतें

मप्र में इस वर्ष अब तक 25 किसानों की मौत हो चुकी है। (स्रोत : नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो)

अमेरिका, ब्रिटेन में भी किसान करते हैं सुसाइड

1. अमेरिका में सुसाइड करने वालों में किसानों की संख्या अन्य नागरिकों की लगभग दोगुनी होती है।

2. ब्रिटेन में औसत रूप से एक किसान हर सप्ताह जान देता है।

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