नई दिल्ली। कैबिनेट ने मंगलवार को प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 300 डॉलर प्रति टन से घटाकर 250 डॉलर प्रति टन कर दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के नोटिफिकेशन के मुताबिक, एमईपी की नई दरों को तत्काल प्रभाव के साथ लागू कर दिया गया है। इस कदम का मकसद प्याज के निर्यात को बढ़ावा देना है और घरेलू कीमतों में भारी गिरावट को रोकना है ताकि किसानों को फसल की सही कीमत मिल सके। माना जा रहा है कि बाजार में प्याज की कीमतों में तेजी आ सकती है।
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि प्याज की सभी प्रकार किस्मों पर यह नई दरें लागू होंगी। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के मुताबिक, बाजार में रोजाना 8,000 से 10,000 टन प्याज की आवक हो रही है।
बढ़ सकती है प्याज की कीमत
आजादपुर मंडी के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने बताया कि प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। प्याज की एमईपी बढ़ने से बाजार में इसकी कीमत 5 से 7 रुपए प्रति किलो तक बढ़ सकती है।
कितना हो रहा है उत्पादन
देश में करीब 160-170 लाख टन सालाना प्याज का उत्पादन होता है। इसमें 50 फीसदी उत्पादन रबी सीजन (अप्रैल-मई) में किया जाता है। वहीं उत्पादन में 30 फीसदी हिस्सेदारी लेट खरीफ (जनवरी-फरवरी) फसलों का है। जबकि खरीफ सीजन में करीब 20 फीसदी प्याज का उत्पादन होता है।
रबी सीजन में जल्दी आने वाले प्याज की आवक कर्नाटक के हुबली, धारवाड़, आंध्र प्रदेश के कुरनूल और हैदराबाद में शुरू हो चुकी है। वहीं महाराष्ट्र में नासिक और पुणे ���ें बड़े पैमाने पर प्याज की आवक हो रही है।
बुआई का अनुमान
एनएचआरडीएफ के अहले अनुमान के मुताबिक 11.92 लाख हेक्टेयर में प्याज की बुआई का अनुमान है। जबकि बीते वर्ष 12.04 लाख हेक्टेयर में प्याज की बुआई हुई थी। वहीं प्याज का उत्पादन पिछले साल 194.02 लाख टन के मुकाबले 193.57 लाख टन होने की संभावना है।
चालू रबी सीजन के दौरान किसानों ने पिछले साल के मुकाबले 12 फीसदी ज्यादा क्षेत्र में प्याज की खेती की है। इस दौरान 5.70 लाख हेक्टेयर में प्याज की बुआई हुई है। पिछले साल 5.07 लाख हेक्टेयर में खेती हुई थी।