छत्तीसगढ़ में पीडीएस घोटाला सैकड़ों करोड़ रुपयों का

जिया कुरैशी/मृगेंद्र पाण्डे/रायपुर। एंटी करप्शन ब्यूरो के छापे से उजागर नागरिक आपूर्ति निगम का घोटाला छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हर साल होने वाले घोटाले की महज एक झलक है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य की सार्वजनिक वितरण ‘ङणाली की गड़बड़ियों की जांच की जाए तो ये घोटाला सैकड़ों नहीं, हजार करोड़ का होगा।

‘नईदुनिया’ ने छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण ‘ङणाली घोटाले के तौर तरीकों, मंत्री से लेकर हर स्तर पर रिश्वत की बंदरबांट की गहराई से पड़ताल की। इस पड़ताल में गरीबों के राशन की डकैती का हिस्सा बने लोग भी हैं और ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो घोटाले के इस पूरे सिस्टम से वाकिफ हैं। हमने जब इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाली कहानियां सामने आईं।

फर्जी राशनकार्ड के जरिए हुआ घोटाला तो सैकड़ों करोड़ का है ही, लेकिन हर साल होने वाली हजारों करोड़ की धान खरीद में अत्यंत व्यवस्थित तरीके से सैकड़ों करोड़ का घोटाला हो रहा है। केंद्र सरकार से आने वाले 16 लाख किलोलीटर मिट्टीतेल में से मुश्किल से 40 फीसदी राशन दुकानों के जरिए आम आदमी तक पहुंचता है, बाकी की बंदरबांट हो रही है।

चौंकाने वाली बात यह है कि धान की सूखत के नाम पर मार्कफेड को सैकड़ों करोड़ रुपए जिस सिस्टम से मिलते हैं, उसकी ऑडिट नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) को करने का अधिकार नहीं है। मार्कफेड को धान खरीदी में होने वाली क्षति की पूर्ति के लिए जो सैकड़ों करोड़ रुपएदिए जाते हैं, उसमें कोई एजेंसी यह पड़ताल तक नहीं करती है कि वास्तविक नुकसान कितना और कैसे हुआ।

आलम यह है कि सालभर पहले कैबिनेट की एक कमेटी ने इस नुकसान को रोकने के लिए 120 गुणवत्ता निरीक्षकों की नियुक्ति का ‘ङस्ताव दिया था, यह नियुक्ति ही नहीं की गई। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2013 में कुल 70 लाख 27 हजार 422 राशन कार्ड बनाए गए थे। जब इन राशन कार्ड की जांच की गई, तो 6 लाख 19 हजार राशन कार्ड निरस्त किए गए।

निरस्त राशन कार्ड पर पिछले 12 महीनों में 520 करोड़ रुपयों का सिर्फ चावल उठाया गया। राज्य विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार अगस्त 2013 तक प्रदेश में राशन कार्ड की संख्या 55 लाख 57 हजार 954 थी, जो सितंबर 2013 में बढ़कर 72 लाख से अधिक हो गई थी।

दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि इस समय तक कुल राशन कार्ड 36 लाख थे, जो बाद में बढ़कर 72 लाख हो गए। वर्तमान में 67 लाख राशन कार्ड हैं। जाहिर फेर्जी राशन कार्ड को नाम पर बड़े पैमाने पर राशन उठाया गया। इस में चावल के साथ गेंहू, शक्कर, दाल, नमक (मटर) और केरोसीन की मात्रा भी शामिल है। सालभर में सैंकड़ों करोड़ के चावल की अफरा-तफरी की गई। पर इसकी कोई ठोस जांच अब तक नहीं हुई।

राशन कार्डः फैक्ट फोइल-

कुल संख्या- 2013 में- 7027422

2014 में- 6943992

निरस्त किए गए- 6 लाख 19 हजार

‘ङति कार्ड चावल- 35 किलो

बीपीएल- 64 लाख

एपीएल- करीब 3 लाख

35 किलो चावल की आढ़ में गड़बड़ीः

बताया गया है कि राज्य सरकार ने जब से 35 किलो चावल देने की शुरुआत की है तब से यह गड़बड़ी सैकड़ों करोड़ तक जा पहुंची। केंद्र कीसरकार द्वारा जब नेशनल फुड सिक्योरिटी एक्ट का ड्राफ्ट तैयार किया था। राज्य सरकार ने उसी ड्राफ्ट की नकल करके केंद्र जैसी अपनी खाद्य नीति बना ली।

केंद्र की नीति के तहत एक राशन कार्ड पर ‘ङति यूनिट करीब 5 किलो चावल दिया जाना ‘ङस्तावित था, इसके हिसाब से एक राशन कार्ड पर करीब औसतन 20 किलो चावल दिया जाना था, लेकिन राज्य सरकार ने हर राशन कार्ड पर 35 किलो चावल देने की योजना बना ली।

इधर जब बड़ी संख्या में राशन कार्ड बनने लगे तो एक परिवार से चार राशन कार्ड बने और 35 किलो की जगह एक परिवार को 105 किलो चावल का आवंटन दिखाया गया। लेकिन वास्तविकता यह थी कि एक परिवार ने 35 किलो चावल ही उठाया।

बाकी का 70 किलो चावल एक राशन कार्ड के पीछे बचा और माल फिर राइस मिलर के पास गया और रोटेशन के माध्यम से फिर नान और एफसीआई के पास आ गया। हर राशन कार्ड पर चावल, गेंहू, शक्कर,दाल और केरोसीन की गड़बड़ी से लगभग 1 हजार रुपए ‘ङतिमाह का अवैध लाभ उठाया गया। जानकार सूत्रों के अनुसार इस तरह राशन दुकान से बंटने वाली सभी कमोडिटी पर हर माह करीब 220 करोड़ और साल में सैकड़ों करोड़ की अफरा-तफरी का रास्ता खुल गया।

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