पूरे देश में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का प्रतिशत 70 से 72 है और निजी स्कूलों में पढ़ने वालों को 28 से 30। इस तरह तीन चौथाई से अधिक बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षक और सरकारें कितनी गंभीर हैं इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। लापरवाही का हाल ये है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार सिंह कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है वो जांच कराकर कारवाई करेंगे। जिलाधिकारी चंद्रकांत शिक्षकों की मनमानी के साथ बेसिक शिक्षा अधिकारी गैर जिम्मेदारी बात कहते हैं।
हिन्दुस्तान ने बुधवार और गुरुवार को दो दिन जिले के कई स्कूलों का दौरा कर तस्वीरें जुटाईं, वीडियो बनाई, जिसमें बच्चे कहते हैं कि अगर वे ये सब काम करने से मना करें, तो शिक्षक उनकी पिटाई करते हैं। बच्चों के साथ इस कठोर व्यवहार पर शिक्षकों के तर्क और भी शर्मनाक हैं। पड़ताल के दौरान एक शिक्षक ने कहा कि बच्चे अब काम करना नहीं सीखेंगे, तो कब सीखेंगे। एक दूसरे शिक्षक का तर्क था कि हमारे पास कोई चपरासी नहीं है। हम ये सारे काम या बच्चों से कराएं या खुद करें।
यह गलत है। इसमें अध्यापक ही नहीं सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। कड़ी कारवाई होगी।
– चंद्रकांत, जिलाधिकारी
मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। अगर ऐसा हो रहा है तो बहुत गलत बात है। मैं सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों से इसकी जांच करवाऊंगा।
– अशोक कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी