गंगा सफाई में जुटी सरकार ने गंगोत्री से गंगासागर तक इसे प्रदूषित करने वाले नालों की गंदगी को नदी में गिरने से पूरी तरह रोकने का फैसला लिया है। अगले 45 दिनों में करीब 140 नालों की गंदगी को गंगा में गिरने से रोकने का काम शुरू हो जाएगा। वहीं गंगा किनारे अस्थि विसर्जन पर भी पाबंदी लगेगी।
हालांकि गंगा सफाई से जुड़ी तमाम नीतियों पर कदम बढ़ाने के साथ आम आदमी की आस्था का खयाल भी रखा जाएगा। श्रद्धालुओं को पूजा सामग्री गंगा में विसर्जित करने से नहीं रोका जाएगा लेकिन उनकी निगाह से दूर इन सामग्रियों को निकालकर सफाई अभियान को आगे बढ़ाया जाएगा। इसे तमाम एनजीओ और स्थानीय निकायों के माध्यम से अंजाम दिया जाएगा। वहीं गंगा के किनारे अंतिम संस्कार पर पाबंदी लगाने की जगह चिताओं के लिए कम लकड़ी का इस्तेमाल या विद्युत शव दाह का विकल्प रखा जाएगा।
जल संसाधन मंत्री और प्राधिकरण की उपाध्यक्ष उमा भारती की अध्यक्षता में हुई सोमवार को राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस मामले में केंद्र और राज्यों के प्रदूषण बोर्ड को सक्रिय रहने का निर्देश भी दिया गया है। वहीं गंगा के किनारे हरियाली लगाने का कार्य भी साथ ही साथ शुरू होगा। गंगा के किनारे अस्थि विसर्जन पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि अगर कोई चाहे तो बीच नदी में जाकर अस्थि विसर्जन कर सकता है। एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में रेडक्रास की तर्ज पर गंगा वाहिनी का गठन तटरक्षक के रुप में करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता पर गंभीर सरकार यह ध्यान रखेगी कि ई-फ्लो से सिंचाई क्षमता और बिजली उत्पादन प्रभावित नहीं हो। इसके अलावा रेत खनन को नदी अनुकूल बनाने के लिए नियम बनाए जाएंगे। गंगा के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नेशनल गंगा मॉनिटरिंग सेंटर तैयार होगा। यह नदी प्रदूषण पर 24 घंटे निगरानी रखेगी। बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री मौजूद थे। जबकि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, जितेंद्र सिंह समेत मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।