यहां रद्दी मिटा रही बेसहारा बच्चों की भूख

सुमेधा पुराणिक चौरसिया, इंदौर। घर के कोने में पड़ी रद्दी भी बच्चे की भूख मिटा सकती है, सुनकर ताज्जुब होगा, लेकिन यह सच है। शहर में अनूठी तरह की समाजसेवा चल रही है, जिसके लिए न तो चंदा मांगा जाता है और न प्रचार किया जाता है। जैन समाज के लोग घर-घर जाकर रद्दी इकट्ठी करते हैं। सालभर में जमा इस रद्दी के बिकने से जमा हुए करीब डेढ़ लाख रुपयों से बेसहरा बच्चों को दूध पिलाया जाता है।

जैन समाज के कुछ लोगों ने मणिधारी मंडल की शुरूआत की है। वैसे तो समाजसेवी 20 साल से अस्पताल, अनाथालय, वृद्धाश्रमों में दूध वितरण कर रहे हैं लेकिन सालभर से रद्दी इकट्ठा करने का नया काम शुरू किया गया। संस्था द्वारा गोयल नगर, नेमिनगर, गुमाश्ता नगर, पलासिया, तिलक नगर, ग्रीन पार्क कॉलोनी सहित कई क्षेत्रों में हर महीने जाकर रद्दी कागज, अखबार, पत्र-पत्रिकाएं एकत्रित की जाती हैं। इसे बेचकर जो पैसा इकट्ठा होता है, उससे जरूरतमंदों को दूध वितरण किया जाता है।

समाजसेवी सुजान चोपड़ा ने बताया कि अरमान अनाथालय, अमरनाथ ट्रस्ट का नारी निकेतन, हवा बंगला स्थित विकलांग बच्चों का आश्रम, स्कीम 78 में अनुभूति संस्था सहित सात अनाथालयों व वृद्धाश्रमों में दूध वितरण किया जाता है। यह सिलसिला कई सालों से सतत जारी है। समाज के लोग भी सामर्थ्य के अनुसार मदद करते हैं। प्रकाश ठाकुरिया, मनोहर सुराणा, संजय गांग, कीर्तीश शाह, शालिनी शाह सहित कई समाजजन इस सेवा से जुड़े हैं।

जरूरतमंदों को देते हैं पाठ्य पुस्तकें

श्री चोपड़ा ने बताया कि रद्दी में शामिल धार्मिक पुस्तकों और स्कूल-कॉलेज की पुस्तकों को अलग कर दिया जाता है। धार्मिक पुस्तकों को किसी कार्यक्रम में स्टॉल लगाकर बेच देते हैं। वहीं स्कूल-कॉलेज की पुस्तकें जरूरतमंद बच्चों को वितरित की जाती हैं।

कपड़ा-अटाला भी इकट्ठा करने की तैयारी

जल्द ही संस्था द्वारा घर-घर से पुराने कपड़े और अटाला भी एकत्रित किया जाएगा। श्री चोपड़ा ने बताया कि समान रखने के लिए जगह उपलब्ध होने पर नई व्यवस्था भी शुरू होगी। इस सेवा में सहयोग देने के लिए 92294-46988 नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।

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