बिहार के 51 प्रतिशत घरों में मोबाइल, 23 प्रतिशत में टॉयलेट

पटना। पिछले हफ्ते जनगणना आंकड़ों से संबंधित रिपोर्ट जारी होने के बाद जानकारी प्राप्‍त हुई है कि बिहार के 51.6 घरों में कम से कम एक मोबाइल फोन है और 23 प्रतिशत घरों में टॉयलेट उपलब्‍ध है। उपलब्‍ध टॉयलेट में 69 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में और 17.6 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हैं। इस संबंध में थिंक टैंक के डायरेक्‍टर डीएम दिवाकर और इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोशल स्‍टडीज के एएन सिन्‍हा का कहना है कि बिहार की पहचान एक गरीब और सामंतवादी राज्‍य के रुप में है लेकिन मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल अब इस समाज में जागरूकता ला रहा है। एक दूसरे से संपर्क लोगों में एकता को शक्ति प्रदान कर रहा है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह का कहना है कि रिपोर्ट से यह साफ होता है कि पहले की अपेक्षा स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन यह स्थिति 2011 की तुलना में बहुत अच्‍छी नहीं है। क्‍योंकि अभी भी टॉयलेट की उपलब्‍धता 25 प्रतिशत से कम है। मंत्री जी ने इस बात को स्‍वीकार किया कि केंद्र सरकर द्वारा 1999 में टॉयलेट को लेकर जो योजना को लागू की गई थी उसकी स्थिति भी संतोषजनक नही है क्‍यों कि निर्माण कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है।

इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक 11,171,314 टॉयलेट का निर्माण हो जाना चाहिए था लेकिन सिर्फ 47,61,388 टॉयलेट का निर्माण किया जा सका है। सिंह ने कहा कि अगर हमें 2019 तक अपने लक्ष्‍य को प्राप्‍त करना है तो हमें 1.67 करोड़ टॉयलेट का निर्माण करना होगा। उन्‍होंने आश्‍वासन दिया कि इस संबंध में वह दिल्‍ली जाएंगे और केंद्र सरकार से सहयोग की मांग करेंगे।

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