एक टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, बूंदापानी चाय बागान के बंद होने के कारण हजारों मजदूरों की रोजी-रोटी छीन गई। इन्हीं हजारों मजदूरों में से एक है 45 वर्षीय रातिया खारिया जो किसी तरह जिंदा हैं और अब केवल हड्डियों का ढांचा मात्र रह गई हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार, रातिया की तरह ही 18 मजदूर भुखमरी के कारण काल के गाल में समा गए।
एक अन्य मजदूर रमेश महाली कहते हैं, ‘बागान बंद होने के कारण हमारे सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है। जब मैं काम करता हूं तो मेरा परिवार खाना खा पाता है। जिस दिन मुझे काम नहीं मिलता उस दिन किसी को खाना नसीब नहीं होता। कई बार हमें पड़ोसियों से खाना मांग कर लाना पड़ता है और कुछ मिल जाता है तो हमारा पेट भरता है।’
प. बंगाल में पांच चाय बागानों के बंद होने के कारण कुपोषण व भुखमरी की वजह से अब तक करीब सौ लोगों के मरने की रिपोर्ट है लेकिन वर्तमान में ममता सरकार इससे इनकार करती रही है। प. बंगाल के उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देब ने कहा, ‘यह सब कुछ बकवास है, ऐसा कुछ भी नहीं है। यह सबकुछ मीडिया का किया-धरा है।’