संयुक्त राष्ट्र। भारत में एचआइवी से संक्रमित लोगों का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा घर है। इस खतरनाक वायरस से 21 लाख भारतीय पीड़ित हैं। संयुक्त राष्ट्र के एचआइवी/एड्स पर यूएनएड्स प्रोग्राम द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में पीड़ित 3.5 करोड़ लोगों में 1.9 करोड़ को पता ही नहीं है कि वे एचआइवी से संक्रमित हैं।
इसलिए एड्स की महामारी को वर्ष 2030 तक खत्म करने के लिए इस अंतर को समाप्त करने की जरूरत है। पहली बार यूएनएड्स "गैप रिपोर्ट" में बताया गया कि एड्स के मामले में उप-सहारा अफ्रीका के बाद एशिया और प्रशांत क्षेत्रों में हैं। अफ्रीकी क्षेत्र में एड्स पीड़ितों की सर्वाधिक संख्या है। 2013 के आखिर तक इस पूरे क्षेत्र में 48 लाख लोगों के एचआइवी संक्रमित होने का अनुमान है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2013 के आखिर तक भारत में 21 लाख एचआइवी से पीड़ित लोग पाए गए। जबकि भारत में केवल 36 फीसद हिस्से को एचआइवी उपचार कवर करता है जहां एड्स से संबंधित 51 फीसद मौतें होती हैं। रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में 2005 से 2013 के बीच एचआइवी संक्रमण के नए मामलों में आठ फीसद की कमी आई है जबकि प्रशांत क्षेत्र में 16 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।
भारत में एड्स के नए मामलों में 19 फीसद की कमी हुई है। जबकि इस अवधि के दौरान भारत में एड्स संबंधित मौतों में 38 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एचआइवी फैलाने वाली महिला यौन कर्मियों में 10.3 से 2.7 फीसद तक कमी आई है लेकिन असम, बिहार और मध्यप्रदेश में वृद्धि हुई है। अनुमान है कि यौन कर्मियों की आबादी आठ लाख 68 हजार है, जिसमें 2.8 फीसद एचआइवी संक्रमित हैं।