महंगाई पर अंकुश के लिए जेटली ने दिये जमाखोरी रोकने के निर्देश

नयी दिल्ली : बढ़ती महंगाई दर से सरकार चिंतित है. कल जारी रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति की दर अपने अधिकतम स्तर 6.01 तक पहुंच गई है. बढ़ती महंगाई दर को देखते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया है कि वे अपने प्रदेशों में जमाखोरी पर प्रतिबंध लगायें. उन्होंने इस संबंध में अपने फेसबुक पर लिखा है.

आलू और मोटे अनाज आदि की कीमतों में तेजी से मई में थोक मुद्रास्फीति पांच महीने के उच्च स्तर 6.01 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसको देखते हुए केंद्र ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे जमाखोरी के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए क्योंकि कुछ लोग कमजोर मानसून की आशंका को देखते हुए भंडार रोक रहे हैं.

विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि मानसून सामान्य से कम रहने की आशंका, इराक में राजनीतिक तनाव तथा तेल कीमतों में वृद्धि से आने वाले समय में मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआइ) आधारित मुद्रास्फीति पर आधिकारिक आंकडों के मुताबिक, आलोच्य अवधि में आलू की कीमतों में एक साल पहले से 31.44 प्रतिशत, फलों में 19.40 प्रतिशत और चावल की कीमतों में 12.75 प्रतिशत की वृद्धि की वजह से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है.

पिछले महीने खाद्य मुद्रास्फीति 9.50 प्रतिशत रही, जबकि विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति 3.55 प्रतिशत थी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मुद्रास्फीति के बारे में कहा, सरकार मामले से वाकिफ है और वह आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है. खाद्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि कमजोर मानसून की आशंका में भंडार रोके जाने के कारण भी हो सकती है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों को जमाखोरी के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने चाहिए.

जेटली ने कहा, सरकार ऐसे कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे जीडीपी पर सकारात्मक असर पडेगा. मुझे उम्मीद है कि फिलहाल उपर की ओर जा रही मुद्रास्फीति धीरे धीरे नीचे आएगी. आने वाला समय मुश्किलों से भरा है, यह संकेत देते हुए बार्कलेज (इंडिया) के मुख्य अर्थशास्त्री सिद्धार्थ सान्याल ने कहा, कमजोर मानसून और इराक में भू..राजनीतिक तनाव के चलते तेल की वैश्विक कीमतों को लेकर अनिश्चितता से जोखिम बढ़ा है.

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 5.20 प्रतिशत और पिछले साल मई में 4.58 प्रतिशत थी. मार्च के लिए थोक मुद्रास्फीति के आंकडों को संशोधित कर 6 प्रतिशत कर दिया गया है जो पहले 5.70 प्रतिशत बताया गया था.

सीआइआइ ने खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सरकार को एपीएमसी कानून लागू करना चाहिए, उन्नत आपूर्ति श्रृंखला विकसित करनी चाहिए और कृषि ढांचागत सुविधाओं में निवेश बढ़ाना चाहिए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह लोकसभा में अपने पहले संबोधन में कहा था, हमने महंगाई काबू में करने का वादा किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने का हमने संकल्प लिया है. सामान्य से कम मानसून का खाद्य कीमतों पर असर से निपटने के लिए सरकार आपात योजना तैयार कर रही है. इस बीच, वैश्विक मोर्चे पर इराक में खराब होती राजनीतिक स्थिति से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ रही है जिसका मुद्रास्फीति पर असर होगा.
 

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