नयी दिल्ली/पटना : शैक्षणिक , औद्योगिक और आर्थिक दृष्टि से बिहार के
पिछड़ेपन की ओर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए आज लोकसभा में
विभिन्न दलों के सदस्यों ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की
पुरजोर मांग की.
शून्यकाल के दौरान जनता दल यू के शरद यादव ने कहा कि वर्ष 2012 के बजट
भाषण में पिछड़े राज्यों के लिए विशेष व्यवस्था किये जाने की बात कही गयी
थी. उसके बाद रघुराजन रमन समिति का गठन किया गया था जिसने वित्त मंत्री को
सौंपी अपनी रिपोर्ट में बिहार सहित कुछ पिछड़े राज्यों के लिए विशेष
व्यवस्था की सिफारिश की थी और योजना आयोग ने भी इस रिपोर्ट से सहमति जतायी
थी.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी इस रिपोर्ट पर हामी भरी थी लेकिन इस
मसले को लेकर वर्ष 2013 में होनी वाली वित्त मंत्रालय की एक बैठक को बिना
कोई कारण बताये स्थगित कर दिया गया.
शरद यादव ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को
लेकर डेढ़ करोड़ लोगों ने एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर राष्ट्रपति तक को
सौंपा था और बिहार के लोगों ने दिल्ली और पटना में रैलियां भी की थीं लेकिन
उसके बावजूद इस मसले पर कोई प्रगति नहीं हुई. उन्होंने इस मुद्दे पर
वित्त मंत्रालय से तत्काल सफाई दिये जाने की मांग की. भाजपा के शाहनवाज
हुसैन ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के नाम पर ठगा गया
है और बिहार की जनता से धोखा किया गया है.
उन्होंने कहा कि बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला
विश्वविद्यालय परियोजनाओं का आज कोई अता पता नहंी है और प्रदेश शिक्षा,
आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र पिछड़ रहा है.
उन्होंने केंद्र को चुनौती देते हुए कहा कि केंद्र बिहार को तत्काल
विशेष राज्य का दर्जा दे अन्यथा नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर
भाजपा यह घोषणा करेगी. मोदी को बीच में लाते हुए की गयी उनकी इस टिप्पणी का
राजद और कांग्रेस सहित कई दलों के सदस्यों ने प्रतिवाद किया.
इस मुद्दे पर जनता दल के कई अन्य सदस्य भी अपनी बात रखना चाहते थे लेकिन
आसन से अनुमति नहीं दिए जाने के बाद वे आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने
लगे.
इससे पहले आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरु होने पर भी सदस्यों ने यह
मामला उठाया था. जदयू सदस्य बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की
मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गये थे.