हिसार में बनेगा गेहूं अनुसंधान निदेशालय का रिजनल फार्म

करनाल के गेहूं अनुसंधान निदेशालय को हिसार के केंद्रीय भैंस अनुसंधान
संस्थान ने दो सौ एकड़ जमीन फार्म के लिए दी है। अब गेहूं निदेशालय गेहूं
के अलावा कपास और ज्वार की फसल पर शोध कर दूसरी किस्मों को भी विकसित
करेगा।

हिसार में मिली जमीन पर उगे जंगल को निदेशालय ने साफ कराकर
उसे खेती योग्य बनाने का काम शुरू कर दिया है। दो सौ एकड़ में से 50 एकड़
जमीन को तैयार कर उस पर गेहूं और जौ की फसल की बिजाई भी की जा चुकी है।

निदेशालय
का लक्ष्य है कि वर्ष 2015 तक सौ एकड़ जमीन को तैयार कर उसे उपजाऊ बनाया
जाएगा ताकि डेढ़ सौ एकड़ जमीन पर विभिन्न फसलों की रिसर्च का काम शुरू किया
जा सके। बाकी 50 एकड़ जमीन की हालत अच्छी नहीं होने के कारण उसे बाद में
तैयार किया जाएगा।

300 एकड़ जमीन में बन चुका है निदेशालय
करनाल
स्थित गेहूं अनुसंधान निदेशालय के पास सौ एकड़ जमीन थी। अब हिसार में दो
सौ एकड़ जमीन मिलने के कारण उनके पास तीन सौ एकड़ जमीन हो चुकी है।

करनाल
में कार्यालय और फार्म पहले से ही है, जबकि हिसार में केवल फार्म ही बनाया
जाएगा। हिसार की सारी गतिविधियां करनाल कार्यालय से ही संचालित होंगी।
हिसार के लिए अलग से उसी क्षेत्र के लिए वैज्ञानिकों की भरती भी की जाएगी,
लेकिन तब तक करनाल के वैज्ञानिकों की देखरेख में ही फार्म को चलाया जाएगा।

उसके
लिए सप्ताह में आने वाले प्रत्येक बुधवार को करनाल से हिसार के लिए
निदेशालय की बस जाएगी, जिसमें वैज्ञानिक व तकनीकि अधिकारी जाएंगे। फार्म पर
होने वाले कार्यो का जयाजा लेंगे।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की
ओर से आठ करोड़ रुपये गेहूं निदेशालय को फार्म चलाने के लिए दिया जाएगा।
इसमें ट्यूबवेल, अंडर ग्राउंड वाटर सिस्टम, थ्रेसिंग स्थान, सीड़ स्टोर
सिस्टम और फील्ड कार्यालय बनाया जाएगा, लेकिन अभी तक केंद्रीय भैंस
अनुसंधान संस्थान सहयोग कर जरूरत का सामान उपलब्ध करवा रहा है।

हरियाणा सरकार ने नहीं दिलाई जगह
गेहूं
अनुसंधान निदेशालय की जगह कम होने के कारण प्रदेश सरकार की ओर से कई बार
पत्र लिखकर जमीन दिलाने की मांग की गई थी, लेकिन सरकार ने जमीन नहीं
दिलवाई।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने गेहूं अनुसंधान निदेशालय को हिसार के भैंस अनुसंधान संस्थान की दो सौ एकड़ जमीन दिलवाई।

बंजर जमीन पर होगा फसलों का रिसर्च
गेहूं
अनुसंधान निदेशालय की परियोजना निदेशक डॉ. इंदु शर्मा ने बताया कि
प्रत्येक बुधवार को करनाल से हिसार के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी अधिकारी
जाएंगे। वे लोग वहां ट्रायल की जांच करेंगे।

अपनी फसल को देखेंगे ओर
रिसर्च का प्लॉन करेंगे। अब तक 70 एकड़ जमीन में फसल लगाई जा चुकी है,
जिसमें करीब 50 प्रतिशत फसल उग भी चुकी है। उन्होंने बताया कि हरियाणा का
काफी एरिया बंजर पड़ा है, वहां दूसरी किस्मों को भी विकसित किया जाएगा।

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