मैदानी तैयारी के बगैर सरकार ने घोषित कर दी पोषण आहार नीति

मनोज तिवारी, भोपाल। राज्य सरकार ने पूरक पोषण आहार की नई नीति तो जारी कर दी, लेकिन इसके क्रियान्वयन की अब तक तैयारी नहीं है। जिन स्व-सहायता समूहों व महिला मंडलों को ये काम सौंपा जा रहा है, वे केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की शर्त ही पूरी नहीं करते हैं।


प्रदेश में 50 हजार से ज्यादा समूह एवं मंडल हैं, लेकिन किसी के भी पास पोषण आहार तैयार करने के लिए अत्याधुनिक कारखाना नहीं है। जबकि गाइडलाइन की पहली शर्त ही यही है। ऐसे में यह गली बनी रहेगी कि नाम स्व-सहायता समूहों का होगा और काम ठेकेदार करेंगे।


पोषण आहार की जिम्मेदारी स्व-सहायता समूह व महिला मंडलों को सौंपने का निर्णय लेने में राज्य सरकार को पूरा एक साल लग गया। अक्टूबर 2016 में सरकार ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया था। पहले से तय था कि काम समूह व मंडलों को देना है और यह भी तय था कि केंद्र और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करना है। फिर भी सरकार ने समय रहते समूह और मंडलों की कार्यक्षमता का आकलन तक नहीं कराया। यह भी नहीं देखा गया कि कितने समूहों के पास अत्याधुनिक कारखाना है। गाइडलाइन की एक शर्त पोषण आहार के उत्पादन में कम से कम मानव हस्तक्षेप रखना भी है।


लीज पर चलेगा काम


पोषण आहार व्यवस्था के जानकारों का कहना है कि नई व्यवस्था में नाम समूह और मंडलों का होगा, लेकिन असल में काम ठेकेदार ही करेंगे। वे बताते हैं कि अब समूह टेंडर प्रक्रिया में शामिल होंगे। ठेकेदारों के कारखानों को लीज पर लेना दिखाया जाएगा। इस आधार पर ठेका मिलेगा और फिर इन्हीं कारखानों में पोषण आहार तैयार कर सप्लाई किया जाएगा। इसके बदले समूह और मंडल के सदस्यों को कारखाने में नौकरी मिल जाएगी।


फेडरेशन का भी विकल्प


जानकार बताते हैं कि ठेकेदारों ने समूह व मंडलों के पोषण आहार निर्माण में फेल होने की आशंका का हल पहले से निकालकर रखा है। ज्यादातर ठेकेदारों ने पांच से 15 समूहों को मिलाकर फेडरेशन तैयार कर लिए हैं, जिनका पंजीयन भी हो चुका है। उल्लेखनीय है कि कैबिनेट ने नीति को मंजूरी देते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि समूह काम करने में अक्षम हुए तो दूसरे विकल्पों पर विचार किया जाएगा।


चार माह जारी रहेगी वर्तमान व्यवस्था


सरकार नई नीति पर अप्रैल 2018 से काम शुरू करेगी। इसलिए वर्तमान व्यवस्था को अगले चार माह जारी रखा जाएगा। इस संबंध में अगले हफ्ते निर्देश जारी किए जा सकते हैं।


विवरण आ जाए

अभी कैबिनेट का कार्यवाही विवरण नहीं आया है। वह आ जाए, फिर आगे की कार्रवाई शुरू करेंगे। तभी ये भी देखा जाएगा कि स्व-सहायता समूह और महिला मंडल केंद्र की गाइडलाइन की पूर्ति करते हैं या नहीं।

– जयश्री कियावत, आयुक्त, एकीकृत बाल विकास परियोजना संचालनालय

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