मनोज तिवारी, भोपाल। प्रदेश में हर साल 8 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए जा रहे हैं, फिर भी हरियाली बढ़ने की बजाय घट रही है। भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान की सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2013 और 2015 के बीच प्रदेश में 60 वर्ग किमी हरियाली घटी है। जबकि पौधरोपण पर हर साल औसतन 60 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इस हिसाब से पांच साल में 350 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी हरियाली नहीं बढ़ी है।
पांच सालों में प्रदेश में 40 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं, लेकिन 20 करोड़ भी जिंदा नहीं बचे हैं। वन विभाग के पास जीवित बचे पौधों का ठीक-ठीक आंकड़ा तक नहीं है, लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञ बताते हैं कि 50 फीसदी से कम पौधे ही जीवित रह पाते हैं। इस साल 8 करोड़ 25 लाख पौधे लगाए गए हैं।
इनमें से सात करोड़ पौधे नर्मदा कैचमेंट के 16 जिलों में रोपे गए हैं। विभाग के सूत्र बताते हैं कि इनमें से 20 फीसदी से ज्यादा पौधे नष्ट हो गए हैं। लिहाजा विभाग ने सभी मैदानी वन अफसरों को पौधों की सुरक्षा करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि देश में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे ज्यादा 77 हजार 462 वर्ग किमी वन क्षेत्र मध्य प्रदेश में है।
नई रिपोर्ट में भी स्थिति खराब
देश में हरियाली की स्थिति पर भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान ने नई रिपोर्ट तैयार कर ली है। इसमें प्रदेश की स्थिति फिर खराब बताई जा रही है। संस्थान ने प्रारंभिक रिपोर्ट वन विभाग को भेजकर आकलन करने को कहा है। विभाग की टीप के बाद संस्थान इसे जारी करेगा। संस्थान हर दो साल में सर्वे करता है। वर्ष 2015 के बाद इस साल फिर सर्वे कराया गया है।
आदिवासी बहुल इलाकों की घटी हरियाली
हैरत की बात है कि प्रदेश में 60 वर्ग किमी हरियाली घटी है और ये वन क्षेत्र आदिवासी बहुल 18 जिलों में आता है। संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है। इस हिसाब से आदिवासी बहुल इलाकों में जंगलों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वन अधिकार कानून आने के बाद पेड़ों की कटाई में तेजी आई है। वहीं अतिक्रमण भी बढ़ा है।
कब-कितने पौधे लगाए
वर्ष पौधों की संख्या
2013-14 878.79 लाख
2014-15 866.87 लाख
2015-16640.00 लाख
2016-17810.00 लाख
2017-18 825.00 लाख
रिपोर्ट नहीं आई
संस्थान की नई रिपोर्ट अभी नहीं आई है। रिपोर्ट आने के बाद ही सही स्थिति पता चलेगी। 2015 की रिपोर्ट के बाद हमने जंगल की सुरक्षा के उपाय किए हैं। जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं।
– दीपक खांडेकर, अपर मुख्य सचिव, वन