राइट आॅफ प्राइवेसी पर ट्रार्इ भी गंभीर, मोबाइल एप्स प्रोवाइडरों को प्राइवेट इन्फाॅर्मेशन मांगना नहीं होगा आसान

नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान पीठ की आेर से निजता के अधिकार (राइट आॅफ प्राइवेसी) मामले पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्रार्इ) भी गंभीर दिखार्इ दे रहा है. कुछ मोबाइल एप्स द्वारा फोन ग्राहकों की सूचनाओं को मांगने के मामले को ट्राई गंभीरता से ले रहा है. नियामक के संज्ञान में यह तथ्य आया है कि कुछ मोबाइल एप्स द्वारा ऐसे सूचनाएं भी मांगी जाती हैं, जिनका उनके कामकाज से कोई लेना देना नहीं होता. अगर प्राधिकरण इस पर गंभीरता से विचार करता है, मोबाइल एप्लिकेशन उपलब्ध कराने वालों को उपभोक्ताआें से प्राइवेट इन्फार्मेशन मांगना आसान नहीं होगा.

ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा कि नियामक की इस पर निगाह है. वह जल्द डेटा गोपनीयता और सुरक्षा पर विचार-विमर्श शुरू करेगा. शर्मा ने कहा कि कोई एप क्या करती है और क्या सूचना मांगी जा रही है, इसमें तालमेल होना चाहिए. इस पर हम परिचर्चा पत्र लायेंगे. इस पर काम चल रहा है.


शुक्रवार को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि प्रयोगकर्ता के आंकड़े जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत आजादी का हिस्सा है, जो संविधान के तहत दिया गया है. इसके संरक्षण के लिए जल्द नियमन लाया जायेगा. हालांकि, शर्मा ने हालिया साक्षात्कार में इस मामले का उल्लेख नहीं किया. उन्होंने कहा कि किसी मोबाइल एप द्वारा यदि कोई सूचना मांगी जाती है, तो वह तार्किक होनी चाहिए और सामान्य प्रक्रिया में न्यूनतम सूचना के सिद्धांत का अनुपालन किया जाना चाहिए.
शर्मा ने कहा कि यदि किसी एप को इससे मतलब नहीं है कि प्रयोगकर्ता पुरुष है या स्त्री, तो इसका व्यापक सिद्धांत है कि इसके बारे में नहीं पूछा जाना चाहिए. हालांकि, ट्राई प्रमुख ने यह नहीं बताया कि क्या इस तरह के विचार-विमर्श से डाटा गोपनीयता और सुरक्षा पर नियम या नियमन आयेंगे. उन्होंने कहा कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगा.

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