मजबूरी : बैल न होने पर किसान ने डोरे में अपनी दोनों बेटियाें को ही जोत दिया

सीहोर। बैल की जगह दो बच्चियों के द्वारा खीचे जा रहे डोरा (हल) की एक फोटो ने हलचल मचा दी है। ये फोटो मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले बसंतपुर पांगरी गांव की है। इस फोटो में नजर आ रहे किसान सरदार बारेला का कहना है कि खेतों में जुताई के लिए बैल खरीदने के लिए पैसा नहीं है। इसी कारण मजबूरी में दोनाें बेटियों को बैल की जगह जोतना पड़ रहा है।

सरदार बारेला ने बताया कि सरकार से तो कोई मदद नहीं मिली, लेकिन मेरी दोनों बेटियों ने पैसों की तंगी और खेती किसानी में मेरी मदद के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी। बड़ी बेटी राधिका 14 साल की है और छोटी कुंती 11 साल की। किसान का तो यह भी कहना है कि उसे अभी तक उसे शासकीय योजनाओं का लाभ भी नहीं मिला है।

इधर नसरूल्लागंज एसडीएम का कहना है कि किसान ने वनभूमि पर अतिक्रमण किया हुआ है। वह करीब आठ साल से उस जमीन पर खेती कर रहा है जबकि किसान का कहना है कि वह जिस जमीन पर खेती करता है, उसकी हर साल रसीद कटवाता है। वह इस जमीन पर करीब बीस साल से काबिज है।

खुद जाकर देखूंगा स्थिति

डोरे (हल) में बैल की जगह बच्चियों से काम कराना मानवीय दृष्टि से बिल्कुल भी ठीक नहीं है। सही स्थिति जानने के लिए मैं खुद मौके पर जाकर देखूंगा, उसके बाद ही कुछ कह पाऊंगा।

-अविनाश चतुर्वेदी, उपसंचालक कृषि, सीहोर

मामला संज्ञान में आया है

किसान द्वारा बेटियों से हल जोतने का मामला संज्ञान में आया था। उस संबंध में पता कराया तो जानकारी मिली कि किसान वनभूमि पर कब्जा कर खेती कर रहा है। बेटियों से हल खिंचवाना मानवीय रूप से भी गलत है।

-हरीसिंह चौधरी, एसडीएम, नसरूल्लागंज

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