पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार को चुनावी वादे पूरे करने में पसीने आ रहे हैं। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान लोगों को 5 रुपये में भरपेट खाना मुहैया कराने का वादा किया था, लेकिन जब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उनकी टीम ने हिसाब लगाया तो उन्हें पता चला कि 5 रुपये में ये खाना लोगों को दे पाना संभव नहीं है। इस रेट पर खाना मुहैया कराने के लिए सरकार को अपने खजाने से पैसा लगाना पड़ेगा। लेकिन फिलहाल पंजाब सरकार की वित्तीय हालत ऐसी नहीं है कि खाने पर राज्य का खजाना खर्च किया जा सके। इसके लिए सरकार ने अब इस खाने के लिए 13 रुपये वसूलने का प्लान बनाया है।
अमरिंदर सरकार ने अपनी कैबिनेट में 124 मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन सस्ते भोजन के खाने को सरकार ने छुआ तक नहीं। कैबिनेट की बैठक में सरकार ने उन्हीं मुद्दों पर चर्चा की जिसका राज्य की वित्तीय सेहत पर असर नहीं पड़ने वाला था। अब राज्य सरकार जून में पेश होने बजट में इस योजना को जगह देगी। सूत्रों के मुताबिक जब राज्य सरकार ने इस योजना के खर्च पर विचार करना शुरू किया तो सामने आया कि 5 रुपये में 6 रोटियां, एक कटोरी दाल या एक कटोरी सब्जी देना संभव नहीं था। पंजाब सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, हम सस्ता खाना पर सब्सिडी देने की हालत में नहीं थे क्योंकि इससे सरकार के ऊपर आर्थिक बोझ पड़ता, इसलिए अपने इस स्कीम को नो प्रोफिट नो लॉस के तहत शुरू करने का मन बनाया। इसके तहत एक एक बार सस्ता भोजन देने की लागत 13 रुपये पड़ रही है, हम इसी कीमत इसे जनता को मुहैया कराएंगे।
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘हम अपने चुनावी वादे को हर हाल में पूरा करेंगे, हम इस तरह के कई योजनाओं की स्टडी कर रहे हैं, इसकी लागत 12 से 13 रुपये पड़ रही है, हम कोशिश करेंगे कि पहली ही बजट में इसे शुरु कर दिया जाए।’ चंडीगढ़ में लगभग इसी तरह का खाना 10 रुपये में उपलब्ध है, लेकिन सरकार के अधिकारियों ने पंजाब के लिए जब इसकी पूरी लागत जोड़ी, जिसमें कैंटीन में काम करने वाले लोगों का वेतन, अनाज और दूसरी चीजों की लागत शामिल है तो ये रकम 13 रुपये तक पहुंच गई।