स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में जुड़ेगा सहजयोग का पाठ

भोपाल। प्रदेश में स्कूली बच्चों में सकारात्मकता बढ़ाने के लिए उनके पाठ्यक्रम में सहजयोग का पाठ जोड़ने की तैयारी चल रही है। सरकार का मानना है कि सहजयोग से बच्चों में एकाग्रता बढ़ेगी। साथ ही बच्चों के मन में निराशा के भाव नहीं आ पाएंगे। भोपाल सहित प्रदेश के सभी जिलों में आनंदम सहयोगी के रूप में 3 लोगों का चयन किया जाएगा।


प्रदेश में नवगठित राज्य आनंद संस्थान के माध्यम से हर जिले में लोगों के जीवन में खुशियां घोलने के लिए जतन किए जा रहे हैं। पंचायत स्तर पर आनंदोत्सव मनाने के बाद अब नए सत्र से स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में सहजयोग जोड़ने का भी प्रस्ताव है। इसके तहत बच्चों को 10 मिनट का ध्यान कराया जाएगा।


सरकार का मानना है कि पढ़ाई के साथ बचपन में ही बच्चों को योग का अभ्यास होगा जिससे बाद में भी योग का लाभ उन्हें मिलता रहेगा। सहजयोग के फायदे में मुख्य रूप से यही बताया गया है कि इससे बच्चों के मन में निराशा नहीं आएगी जिससे उनमें खुदकुशी जैसे विचार उत्पन्ना ही नहीं हो पाएंगे। जीवन पाजिटिविटी बढ़ने से उन्हें पढ़ाई में भी आनंद की अनुभूति होगी। इसके अलावा वह जो भी काम करेंगे उसमें उनकी एकाग्रता बढ़ेगी। यादयाश्त भी तेज होगी। इसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर दिखेगा।

 


राज्य आनंद संस्थान ने जिलों में लोगों को आनंद की अनुभूति कराने के लिए अब तीन-तीन आनंदम सहयोगियों को तैनात किया है। पहले दो आनंदम सहयोगियों को ट्रेनिंग दिलाई गई थी, अब एक और व्यक्ति को जोड़ दिया गया है। भोपाल में एक एनजीओ कार्यकर्ता विपुल को तीसरे सहयोगी के रूप में जोड़ा गया है। राजधानी को दो शिक्षक महेन्द्र तिवारी एवं अरुण विश्वकर्मा को आनंदम सहयोगी के रूप में पहले ही तैनात कर दिया गया था।

 

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